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पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।
उनके मन में भी सौ अजगर बैठे हैं।
'ए' की बेटी, 'बी' का बेटा, 'सी' की सास,
दुनियाभर का ठेका लेकर बैठे हैं।
कहाँ दिखाई देती हैं अब वो रस्में,
भाभीमाँ की गोद में देवर बैठे हैं।
मैं दरवाज़े पर ताला जड़ आया हूँ,
दुश्मन घर में घात लगाकर बैठे हैं।
अब हम सब सीसीटीवी की ज़द में हैं,
चित्रगुप्त कब खाते लेकर बैठे हैं।
अदबी लोगो! अदब की चिन्ता जायज़ है,
हर नुक्कड़ पर चार सुख़नवर बैठे हैं।
सबका नंबर आएगा, निश्चिंत रहो!
धुंधले साए बंकर-बंकर बैठे हैं।
बैरागी बातें करने वालों की भी,
छाती पर सोने के ज़ेवर बैठे हैं।
पहले उल्लू बैठा था, पर एक ही था,
अब हर डाली पर दो बंदर बैठे हैं।
मौलिक / अप्रकाशित,
बलराम धाकड़ l
Comment
बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय समर सर.
सादर.
अब ख़ूब हो गई ग़ज़ल ।
आ. लक्ष्मण जी भाई साहब,
आपकी और आ. समर सर की इस्लाह पर अमल करते हुए सुधार कर लिया है।
बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
सादर।
ग़ज़ल में आपकी शिरकत और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आ. समर सर।
आपकी इस्लाह के बाद अब मतला यूँ कर लिया है कि,
पाँव जो क़ब्रों में लटकाकर बैठे हैं।
और छठवें शेर का सानी इस तरह कहा है कि,
हर नुक्कड़ पर चार सुख़नवर बैठे हैं।
टंकण त्रुटियां सुधार ली जाएंगीं सर।
सादर।
जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I
'पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं'--- इस मिसरे के बारे में आपसे फ़ोन पर चर्चा हो चुकी है I
'अब हम सब सीसीटीवी की जद में हैं'-- इस मिसरे में 'जद' को "ज़द" कर लें I
'अदबी लोगो! अदब की चिन्ता जायज़ है,
हर नुक्कड़, हर गली में शाइर बैठे हैं'--- इस शे`र के ऊला मिसरे में 'जायज़' को "जाइज़" कर लें और सानी मिसरे में "सुख़नवर" शब्द ले सकते हैं I
त्कुच टंकण त्रुटियाँ देख लें I
बाक़ी शुभ शुभ
आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन। शंका समाधान के लिए आभार।
यदि उचित लगे तो इस पर विचार कर सकते हैं-
हर नुक्कड़ पर शाइर घर कर बैठे हैं।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सादर नमस्कार।
आपकी शिरकत ग़ज़ल में हुई, प्रसन्नता हुई।
आपकी आपत्ति सही है, इस शे'र में क़ाफिया "शायर" होना था। फिर याद आया, जनाब समर कबीर साहब कहते हैं, सही शब्द "शाइर" है। ऐसे में सही काफिए की तलाश में इसे "शायर" ही रखते हैं। कृपया कोई सही क़ाफिया सूझे तो अवश्य अवगत कराइएगा।
सादर।
आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।
क्या "शाइर" शब्द से काफिया बदल नहीं रहा ? शंका समाधान कीजिएगा। सादर..
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