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चौपाई छंद - जीवन

चौपाई छंद - जीवन

जीवन का जो  मर्म  न  जाने ।
दर्द किसी  के  क्या  पहचाने ।।
जग में  निष्ठुर  वो  कहलाता ।
जो साँसों को समझ न पाता ।1।
*
         यौवन के जब दिन हैं आते ।
         आँखों  में   सपने  लहराते ।।
          रातें  लगतीं   सदा  सुहानी ।
          हर पल लिखता नई  कहानी ।2।
*
यादों   का  है  दिल  से  नाता ।
दिल आँसू को  सदा छिपाता ।।
आँखों  में  रातें  छिप   जातीं ।
कह न व्यथा अन्तस की पातीं ।3।
*
           आँखों से आँखों की  बातें ।
           मन को भाती मन की रातें ।।
           मौन प्रीत के  रंग  अनोखे  ।
            दिलकश होते हैं ये धोखे ।4।
*
जग वाले कुछ समझ न पाते ।
किसको अपनी  पीर  सुनाते ।।
उसके  आगे  शीश   झुकाते ।
आशीषों  का  वर  पा  जाते ।5।
*
            कोरे कागज़ पर लिख डाली ।
            अन्तर्मन की  कथा  निराली ।।
            सपन सुहाने  मन  को  भाते ।
            भोर काल में छल कर जाते ।6।

सुशील सरना / 12-8-23

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on September 7, 2023 at 4:01pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 2, 2023 at 7:56am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर चौपाई छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई। 

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