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वरिष्ठ नागरिक दिवस पर चन्द दोहे .....

वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर चन्द दोहे : ....

दृग जल हाथों पर गिरा, टूटा हर अहसास ।
काया  ढलते ही लगा, सब कुछ था आभास ।।

जीवन पीछे रह गया, छूट गए मधुमास ।
जर्जर काया क्या हुई, टूट गई हर  आस ।।

गिरी लार परिधान पर, शोर हुआ घनघोर ।
काया पर चलता नहीं, जरा काल में जोर ।।

लघु शंका बस में नहीं, थर- थर काँपे हाथ ।
जरा काल में खून ही , छोड़ चला फिर साथ ।।

वृद्धों को बस दीजिए , थोड़ा सा सम्मान ।
अवसादों को छीन कर, उनको दो मुस्कान ।।

सुशील सरना / 21-8-23

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on September 7, 2023 at 3:57pm
आदरणीय अमीरूद्दीन जी आदाब ।सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।
Comment by Sushil Sarna on September 7, 2023 at 3:54pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । सहमत एवं संशोधित । हार्दिक आभार आदरणीय
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 6, 2023 at 7:08pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, सुंदर दोहा रचना हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 5, 2023 at 9:52am

क्या ही भावमय प्रस्तुति हुई है, आदरणीय। 

मन भीग गया। 

उनको दो मुस्कान.. इसे कृपया उनको दें मुस्कान  कर लें। 

शुभ-शुभ 

कृपया ध्यान दे...

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