लेबल्ड मच्छर ......(लघु कथा )
"रामदयाल जी ! हमें तो पता ही नही था कि हमारे मोहल्ले से मच्छर गायब हो गए हैं सिर्फ पार्षद के घर के अलावा ।" दीनानाथ जी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा ।
"वो कैसे ।" रामदयाल जी बोले ।
"वो क्या है रामदयाल जी । आज सवेरे में छत पर पौधों को पानी दे रहा था कि अचानक मुझे नीचे कोई मशीन चलने की आवाज सुनाई दी । नीचे देखा तो देख कर दंग रह गया ।"
"क्यों? क्या देखा दीनानाथ जी । पहेलियाँ मत बुझाओ ।साफ साफ बताओ यार ।" रामदयाल जी बोले ।
"हाँ हाँ बता रहा हूँ यार । नीचे देखा तो पार्षद जी के घर के आग फागिंग मशीन मच्छर भगाने के लिए धुंआ उड़ा रही थी ।"
"ये तो अच्छी बात है । वो मोहल्ले का कितना ध्यान रखते हैं । इसमें आश्चर्य की क्या बात है ।" रामदयाल जी बोले ।
"आगे सुनो रामदयाल जी । अचानक पार्षद जी अन्दर से आये और मोबाइल से फागिंग मशीन से धुंए की फोटोग्राफी करने लगे । बाद में फागिंग मशीन वाली वैन को जाने के लिए इशारा कर दिया । वैन चली गई बिना कहीं भी धुंआ फैंके । अब एक तो जन सुविधाओं से खिलवाड़ हुआ दूसरे इस पर होने वाली व्यय राशि को शालीनता से डकार गए ।" दीनानाथ जी बोले ।
यह तो खुलेआम भ्रष्टाचार है । हाथ पर बैठे मच्छर को मारते हुए रामदयाल जी बोले और चाय का प्याला रखा और सोचा कि हवा के मच्छरों से तो मुकाबला कर लें मगर इन सेवक लेबल्ड मच्छरों से जनता कैसे बचेगी । इनसे बचने का कौन सा धुंआ बनेगा । यही सोचते सोचते वो अपने घर को चल दिये ।
सुशील सरना / 15-10-23
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