For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा सप्तक ..रिश्ते

दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते

रिश्ते नकली फूल से, देते नहीं सुगंध ।
अर्थ रार में खो  गए, आपस के संबंध ।।

रिश्तों के माधुर्य में, आने लगी खटास ।
मिलने की  ओझल हुई, संबंधों में प्यास ।।

गैरों से रिश्ते बने, अपनों से हैं दूर ।
खून खून से अब हुआ, मिलने से मजबूर ।।

झूठी हैं अनुभूतियाँ , कृत्रिम हुई मिठास ।
रिश्तों को आते नहीं, अब रिश्ते ही रास ।।

आँगन में खिंचने लगी, नफरत की दीवार ।
रिश्तों की गरिमा गई ,  अर्थ रार से हार ।।

उठा जनाजा इस तरफ, रुदन हुआ खामोश ।
बँटवारे में खो गया , जीवन संचित कोष ।।

व्यर्थ अर्थ की रार है, करो द्वन्द्व अब बन्द ।
फिसल न जाए हाथ से, रिश्तों का मकरंद ।।

सुशील सरना / 7-6-24

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 83

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 25, 2024 at 3:37pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।

Comment by Sushil Sarna on July 25, 2024 at 3:36pm

आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  सहमत एवं संशोधित । हार्दिक आभार आदरणीय 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 24, 2024 at 11:15pm

आदरणीय सुशील सरना जी सादर, रिश्तों में बढ़ते अर्थ के अशुभ प्रभाव पर आपने सुन्दर और सार्थक दोहावली रची है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. पांचवे दोहे के तृतीय चरण में प्रसून के स्थान पर 'प्रहसन' का प्रयोग उत्तम होगा. सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 24, 2024 at 6:08am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।

आ. भाई मिथिलेश जी की बात का संज्ञान लें

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2024 at 9:20pm
आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 24, 2024 at 10:35pm

आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर

रिश्तों के प्रसून गए

देख लीजिएगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service