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फिर आ रहा है १५ अगस्त. फिर से उस दिन सुबह उठते ही हम देश प्रेम के गीत को सुनेगे | सारे समाचार,टीवी चैनल सब जगह देश प्रेम की बाते की जायेगी, स्कुलो में भी गली के सबसे भ्रष्ठ नेता जी को देश प्रेम का भाषण देने के लिए बुलाया जाएगा | टीवी चैनल्स पर देश प्रेम की फ़िल्म लगाई जायेगी,दया करुणा प्रेम भाईचारे के साथ रहने की कसम खाई जायेगी. पूरा देश,देशभक्ति के रंग में डूब जाएगा..और जैसे ही १६ अगस्त आएगी..हम वो सारी बाते अगले १५ अगस्त तक भूल जायेगे..वो गाने जो १५ अगस्त को देश प्रेम के लिए बजाये गए थे उनको अगले २६ जनवरी या १५ अगस्त तक के लिए संभाल कर रख देंगे.. वो नेताजी जिनको देश भक्ति की प्रेरणा देने के लिए बुलाया गया था वो अपना घुस खाने का सिलसिला चालू रखेगे. और दया प्रेम करुणा और भाईचारे की बात करने वाले ये लोग कभ मजहब के नाम पर,कभी जमीं के नाम पर कभी बटवारे के नाम पर लड़ते झगड़ते रहेगे .ये बात मैंने अपने पिताजी से सुनी और और आज 24 बरस की मेरी उम्र हो गई है और बचपन से आज तक में यही माहोल देखता हुआ आया हूँ. हम शहीदों को याद करते है तो सिर्फ १ दिन के लिए,या वो एक दिन भी किसी मज़बूरी के खातिर ही याद करते है..मेरे घर से थोडा दूर गांधीजी की १ प्रतिमा लगी हुई है,पुरे साल उस पर धुल जमी रहती है कोई उसकी देख रेख तक नहीं करता पर जब भी १५ अगस्त आती है,२६ जनवरी आती है,२ अक्टुम्बर आता है, तो उसके १ दिन पहले उस प्रतिमा की सफाई की जाती है और १५ अगस्त को नेताज़ी उस प्रतिमा को माला पहनाते है भाषण होता है, भाषण नेताजी याद कर के आते थे.. क्योकि वो इतने भ्रष्ट और बेईमान थे की ईमानदारी और देश प्रेम की १ पंक्ति भी अपने मन से नहीं कह पाते थे,वह खड़े लोगो को भी भाषण से कोई मतलब नहीं रहता था उनको इन्तेजार रहता था उसके बाद बटने वाले लडडू का..

 

जिन लोगो ने अपने प्राणों की आहुति इस देश की रक्षा के लिए दे दी है क्या हमारा यही फर्ज है की हम सिर्फ १ दिन उन्हें याद करे और बाकी के दिन उनके लिए कोई सम्मान ना हो प्यार ना हो, क्या ये सही है आज हम १५ अगस्त को ध्यान में रखते है तो सिर्फ इसलिए क्योकि उस दिन हमें छुटी मिलेगी,बिना किसी स्वार्थ के, जिन लोगो ने इस देश को आजाद करवाया क्या यही कर्तव्य है हमारा उनके प्रति..आज हमें ये संकल्प लेना होगा की हम ना सिर्फ १५ अगस्त को बल्कि हर रोज अपने शहीदों को याद करेगे,मेरे पिताजी मुझसे कहते है की हम चाहते है की सुखदेव पैदा हो, भगत,राजगुरु पैदा हो पर हमारे घर नहीं पडोसी के घर, तो क्यों ना आज के दिन हम अपनी इस स्वार्थी मानसिकता को भी बदल दे,क्यों ना आज जब अन्ना हजारे जैसे लोग जब अन्याय के आगे आवाज उठाये तो उनकी आवाज में हम अपनी आवाज भी शामिल कर दे.. आओ आज हम सब मिल कर के १ नए भारत का निर्माण करे जिसमे सच्चाई हो, इमानदारी हो , भाईचारा हो,शांति हो, प्यार हो , किसी प्रसिद्ध शायर की पंक्तिया है की-

ना कही दंगा, ना कही फसाद होगा
हिन्दू मुसल्मा,हर जगह साथ साथ होगा
सभी के दिल मई मोहबत के फूल खिलते हो
हाँ मेरे सपनों का ऐसा भारत होगा

 

आओ हम सब मिल कर के इस सपनों के भारत का निर्माण करे

 

 

आपका अपना
तपन दुबे

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Comment

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Comment by Tapan Dubey on August 15, 2011 at 7:01pm

धन्यवाद गणेश जी , धन्यवाद सौरभ जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 15, 2011 at 6:57pm

ना कही दंगा, ना कही फसाद होगा
हिन्दू मुसल्मा,हर जगह साथ साथ होगा
सभी के दिलों में मुहब्बत के फूल खिलते हो
हाँ मेरे सपनों का ऐसा भारत होगा

 

बहुत बढ़िया तपन जी, आपका आलेख कही न कही युवा वर्ग के आक्रोश को प्रदर्शित करता है, जो लेखक महसूस करता है वाही लिखता है, देश की हालत कुछ ऐसा ही है की युवा कलमकार की कलम आग उगल रही है |

 

बधाई आपको |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 15, 2011 at 5:35pm

यों ही नहीं उपजी यह खीझ.  इस खीझ पर स्वर समवेत हों.

शुभेच्छा.

 

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