For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिन्दी वैभव: मगही / भोजपुरी / अंगिका / बघेली / उर्दू खड़ी बोली

हिन्दी वैभव:
हिन्दी को कम आंकनेवालों को चुनौती है कि वे विश्व की किसी भी अन्य भाषा में हिन्दी की तरह अगणित रूप और उन रूपों में विविध विधाओं में सकारात्मक-सृजनात्मक-सामयिक लेखन के उदाहरण दें. शब्दों को ग्रहण करने, पचाने और विधाओं को अपने संस्कार के अनुरूप ढालकर मूल से अधिक प्रभावी और बहुआयामी बनाने की अपनी अभूतपूर्व क्षमता के कारण हिन्दी ही भावी विश्व-वाणी है. इस अटल सत्य को स्वीकार कर जितनी जल्दी हम अपनी ऊर्जा हिन्दी में हिंदीतर साहित्य और संगणकीय तकनीक को आत्मसात करेंगे, अपना और हिन्दी का उतना ही अधिक भला करेंगे.

*
*
मगही में मातृभूमि वंदना

डॉ. रामाश्रय झा, बख्तियारपुर पटना.
*
मातृभूमि हे! हमर प्रनाम.
सरगो से बढ़कर के सुन्दर, तोहर सोभा ललित ललाम....
*
हरियर बाग़-बगीचा धरती, एको देग कहौं नन परती.
अन-धन से परिपूर्ण मनोहर, जनगन-मन पाबे विश्राम...
*
सागर जेकर चरन पखारे, हरदम गौरव-गीत उचारे.
तीरथ राज प्रयाग बनल हे, मनहर-पावन चारों धाम...
*
अनुपम वेद, रामायण, गीता, धर्म सुसंस्कृति परम पुनीता.
सुधा सरिस गंगा-यमुना जल, कर दे मन के पूरनकाम...
*
जय-जय-जय हे भारत माता, तोरा से जलमों के नाता.
मरूं-जिऊँ तो ई माटी में, मुँह मा पर बस तोरे नाम...
*
सोभे पर्वतराज हिमालय, पावन मन्दिर अउर शिवालय.
गऊ-गणेश के पूजा घर-घर, विजय मन्त्र हे जय श्री राम...

**********

भोजपुरी में मुक्तिका

ओमप्रकाश केसरी, बंगाली टोला, बक्सर.

बयार अलगाँव के चले लागल.
घरे में गली दर गली खले लागल..

रहे आस जवना दिया पे हमरा.
उहे दिया से घरवा जले लागल..

आ गइल अइसन दरार रिश्तन में.
आपन, अपने छले लागल..

हो गइल हे मुसीबत के अइसन चलन.
किनारा भी देख के गले लागल..

रास ना आइल इश्क के दुलार.
भूखल आँत के मले लागल..

कहवाँ ठौर मिली 'पवन नन्दन'
जिनगी के सवाल गले लागल..

*****************

अंगिका में मुक्तिका :

राजकुमार, बालकृष्ण नगर, भागलपुर

आदमी छै कहाँ?, जो छै तs सहमलs डरलs
आरो हुनख थपेड़ से खै दुबलल डढ़लs..

जहाँ भी जाय छी पाबै छी भयानक जंगल.
कुंद चन्दन छै, कुल्हाड़ी रs मान छै बढ़लs..

बाघ-भालू भीरी भेलs छै आद्लौ बौना.
हुनख नाखून छै बदलs, कपोत पर पड़लs..

आय काबिज़ हुनी सागर, आकाश धरती पर.
जाल हुनखs छै, फ्रेप में भी छै हुती मढ़लs..

राज लागै छ बगदलs छै समुन्दर अबको.
आग लगत छै लहर छै कमान पर चढ़ल..

******************

बघेली में हाइकु गीत

श्रुतिवंत प्रसाद दुबे 'विजन', डगा बरगवां, सीधी.

बोले मुरैला
पहरे डहारे मा
बन मस्तान.
*
पानी बरसा
दुआरे बगारे मा
धूरी पटान.
*
नदिया बाढ़ी
कहा किनारे मा
मने उफान.
*
हथलपकी
गोरिया अंगन से
रे बिदुरान.
*

उर्दू में ग़ज़ल

चंद्रभान भारद्वाज, १६४ श्रीनगर, इंदौर.

साँकल को भरमानेवाले.
बाँटे दिन भर चाबी-ताले.

हर भूखे को भेजा न्यौता
घर में केवल चार निवाले.

नंगों की बस्ती में बेचें
सपनों के रंगीन दुशाले.

आशाएँ सड़कों को सौंपी
सपने फुटपाथों पर पाले.

खिड़की-दरवाजों के पीछे
बुनतीं रोज़ मकड़ियाँ जाले.

चाकू गोली आग बमों की
दहशत के हम हुए हवाले.

आँगन में बबूल बोये तो
चुभते काँटे कौन निकाले?

भाड़े की कुछ भीड़ जुटाकर
सिर्फ हवा में शब्द उछाले.

मिली वक़्त से हमें वसीयत
फटी बिमाई, रिसते छाले.
*
खड़ी बोली में हाइकु मुक्तिका:

संजीव 'सलिल'

जग माटी का
एक खिलौना, फेंका
बिखरा-खोया.

फल सबने
चाहे पापों को नहीं
किसी ने ढोया.
*
गठरी लादे
संबंधों-अनुबंधों
की, थक-हारा.

मैं ढोता, चुप
रहा- किसी ने नहीं
मुझे क्यों ढोया?
*
करें भरोसा
किस पर कितना,
कौन बताये?

लुटे कलियाँ
बेरहमी से माली
भंवरा रोया..
*
राह किसी की
कहाँ देखता वक्त
नहीं रुकता.

अस्त उसी का
देता चलता सदा
नहीं जो सोया.
*
दोष विधाता
को मत देना गर
न जीत पाओ.

मिलता वही
'सलिल' उसको जो
जिसने बोया.
*
**************

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 7, 2010 at 9:07am
आचार्य जी सादर प्रणाम।
आपने सही कहा है कि हिन्दी ही ऐसी एकमात्र भाषा है जिसमे विविध विधाओं मे स्रिजनात्मक एवं समसामयिक लेखन सतत जारी है। आने वाला दिन हिन्दी का ही है।
सभी रचनायें विभिन्न रंगों को समेटे हुए है और बेमिसाल हैं

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 7, 2010 at 8:54am
आदरणीय श्रध्येय आचार्य जी आप के द्वारा पोस्ट की हुई सभी रचना यथा मगही में मातृभूमि वंदना, डॉ. रामाश्रय झा, बख्तियारपुर पटना,भोजपुरी में मुक्तिका,ओमप्रकाश केसरी, बंगाली टोला, बक्सर,अंगिका में मुक्तिका :राजकुमार, बालकृष्ण नगर, भागलपुर,बघेली में हाइकु गीत,श्रुतिवंत प्रसाद दुबे 'विजन', डगा बरगवां, सीधी,उर्दू में ग़ज़ल,चंद्रभान भारद्वाज, १६४ श्रीनगर, इंदौर तथा आप के स्वयम का लिखा खड़ी बोली में हाइकु मुक्तिका बहुत ही खुबसूरत है , एक साथ इतने सारे रंग के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service