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कल पंद्रह अगस्त है. मैंने सोचा की कुछ लिखूं इस स्वतंत्रता दिवस पर. लिखने बैठा तो कुछ या पंक्तियाँ बनी मेरे मस्तिस्क और ह्रदय में. मई उनको आपके सामने रख रहा हूँ|

वर्षों से थी पराधीनता से भारत माता ग्रस्त|
समय सुहाना सैंतालिस का, आया पंद्रह अगस्त||

आया पंद्रह अगस्त हुआ था नया सवेरा|
देश हुआ आज़ाद, फिरंगियों ने भारत छोड़ा||

गैरों की मर्ज़ी से था, जो चलता जीवन|
अपने बस में हुआ, खिल गए वन औ' उपवन||

खिंजा हटी बागों से, आया था बहार का मौसम|
नयी कोंपलें निकली, खिला था जन का तन-मन||

आओ याद करें उस दिन को, याद करें बलिदान|
लें सौगंध की हिंद के लिए, देंगे अपनी जान||

आशीष यादव "राजा रुपर्शुखम "

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Comment by आशीष यादव on August 16, 2010 at 8:46am
सब लोगो को मेरा प्रणाम,
मुझे अपार ख़ुशी है की आप लोगो की मेरी कविता अच्छी लगी. आप लोग ऐसे ही मेरा उत्साह वर्धन करते रहे. मै और अच्छा लिखने की कोशिश करूँगा|
आप सभी लोगो को धन्यवाद|

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 15, 2010 at 7:04pm
बेहतर प्रयास है. शुभ-शुभ हो
Comment by sanjiv verma 'salil' on August 15, 2010 at 11:58am
अच्छा प्रयास. शुभकामनायें.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 15, 2010 at 11:13am
वाह आशीष भाई वाह , बहुत खूब , सर्वप्रथम तो मैं भी आपको स्वतंत्रता दिवस की बधाई देना चाहता हूँ तत्पश्चात स्वतंत्रता दिवस पर लिखी इस खुबसूरत और बेहतरीन रचना पर भी बधाई स्वीकार करे,बहुत ही उम्द्दा और सुंदर शब्दों से सुसज्जित शानदार रचना, बहुत बहुत धन्यवाद इस रचना पर,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on August 15, 2010 at 11:04am
आया पंद्रह अगस्त हुआ था नया सवेरा|
देश हुआ आज़ाद, फिरंगियों ने भारत छोड़ा||

आज आज़ादी के 63 वें सालगिरह पर आपकी इतनी अच्छी रचना आई इससे ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार धन्य है,,...बहुत बहुत धन्य्बाद इतनी अच्छी रचना पोस्ट करने के लिए...

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