त्यागपत्र (कहानी)
लेखक - सतीश मापतपुरी
................ अंक -- एक ...................
'प्रबल प्रताप ज़िन्दावाद ' के नारे से पंडाल गूंज उठा. पी. पी.सिंह के नाम से जाने जानेवाले प्रबल प्रताप सिंह के मंत्री बनने के उपलक्ष में इस समारोह का आयोजन हुआ था. जनता - जनार्दन के बीच उनकी अच्छी -खासी लोकप्रियता थी. उनके दर्शनार्थ भीड़ उमड़ पड़ी थी. गिरधरपुर निर्वाचन -क्षेत्र की जनता - जनार्दन को नाज़ था कि वो प्रदेश को एक मंत्री देने का गौरव हासिल करने जा रहे हैं.सच ही तो है .............. सिंह साहेब ही वे पहले व्यक्ति थे जिन्होनें गिरधरपुर को यह सम्मान दिया था . इकट्ठी भीड़ उन्हें माल्यार्पण करने को बेताब थी.लोग उनके सामने तरह -तरह की मांगे रख रहे थे................. कोई कह रहा था- ' इस एरिया में एगो हासपिटल होना चाहिए '.............. एक ने कहा - 'सरकार! खेती के लिए सिंचाई का परमानेंट कुछ होना चाहिए ' तो एक ने कहा - ' माई -बाप, सिक्युरिटी के लिए पुलिस चौकी तो चाहिए ही चाहिए ' .......................... भोले -भाले लोग तो यही समझ बैठे थे कि सिंह साहेब इस क्षेत्र का पिछड़ापन दूर कर ही देंगे ....................... जहां तक तक प्रबल प्रताप की ईमानदारी की बात है, उनकी समता करने वाला इस क्षेत्र में शायद और कोई नहीं था. आम लोग उनकी दरियादिली के कायल थे .................... उनका विशिष्ट आचरण औरो के लिए उदाहरण -स्वरूप था. जनता की नज़रों में तो वे अब और महान हो चुके थे क्योंकि पिछले स्वास्थ मंत्री को हटाकर पार्टी ने उन्हें यह सम्मान दिया था.................... लेकिन, उन्हें यह मंत्री-पद कैसे मिला था, ये राज़ सिर्फ वे ही जानते थे ........... क्रमश:
Comment
आदरणीय सौरभ जी एवं गुरूजी, आभार ............ उम्मीद है आपकी प्रतिक्रिया एवं
मार्गदर्शन इसी तरह मिलता रहेगा.
kahani ki suruaat itna jandar hain mujhe pura biswas hain puri khani sandar hpgi
कहानी उम्मीद से है. बधाई.
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