For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस दिल ने नादानी में............

इस दिल ने नादानी में

आग लगा दी पानी में ।

 

वा'दे सारे खाक हुए

आया मोड़ कहानी में ।

 

तेरी याद चली आए

है ये दोष निशानी में ।

 

ना उल्फत को समझ सके

लोग फँसे नादानी में ।

 

या रब ऐसा क्यों होता 

दर्द मिले प्यार कहानी में ।

 

टूटा दिल, बहते आँसू

पाए विर्क जवानी में ।

 

     --------------- दिलबाग विर्क

           

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on March 8, 2012 at 9:34pm

Saurabh Pandey  -Saurabh Ji already explained !! 

Comment by Lata R.Ojha on December 2, 2011 at 6:52pm

aapke saath saath mujhe bhi seekhne ko mila Dilbag ji :)

bahut sundar rachna :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 2, 2011 at 6:37pm

इतना अवश्य है कि इस बह्र और इस काफ़िये-रदीफ़ पर बहुत कुछ हो सकता है. 

मुझे आंतरिक खुशी है कि मेरा वीनसजी के साथ इस तईं सकारात्मक बातचीत हुई है.  और बेहतर बातचीत हुई है.   इस हेतु दिलबाग़जी को हार्दिक बधाई कि आपने ऐसी विचारोत्तेजक ग़ज़ल पोस्ट की है.

 

Comment by वीनस केसरी on December 2, 2011 at 4:58pm

ना उल्फत को समझ सके

लोग फँसे नादानी में ।

(ना =२)  लिखना गलत है क्योंकि सही होता है (न = १ )

शेर ऐसे लिख सकते हैं

उल्फत को कब समझ सके  (और बेहतर किया जा सकता है)

लोग फँसे नादानी में ।

एक खास बात "समझ सके" का वज्न १२१२ होता है मगर यहाँ लय में है इसलिए छूट की वजह से यह सही है :)

Comment by वीनस केसरी on December 2, 2011 at 4:54pm

इसे ऐसे लिख सकते हैं


या रब ऐसा क्यों होता
दुख हर प्यार कहानी में

अब भी और अच्छा हो सकता है

Comment by वीनस केसरी on December 2, 2011 at 4:52pm

चौथे और पाँचवे शेर में अभी और काम करने की जरूरत है

दर्द मिले प्या / र कहानी में ।
२११२२ / ११२२२
इस मिसरे में एक दीर्घ ज्यादा है

Comment by dilbag virk on December 2, 2011 at 4:09pm

आदरणीय सौरभजी और केशरीजी 

प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार

चौथे और पाँचवे शेर में थोडा बदलाव किया है, समय मिले तो उस पर भी राय दें

अन्य सुधीजनों से भी निवेदन है कि वे बेझिझक टिप्पणी करें ताकि सीखने में मदद मिल सके

धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2011 at 11:50pm

बहुत सुन्दर दिलबाग़जी,  बहुत बढिया कही आपने.

 

वादे सारे खाक हुए

आया मोड़ कहानी में

आपका प्रयास मन मोह गया .. बधाई स्वीकारें .  

 

आखिरी कुछ शे’र पर थोड़ा और ध्यान देने की ज़रूरत है.

Comment by वीनस केसरी on December 1, 2011 at 11:17pm

वाह वा दिलबाग साहब,

ग़ज़ल पढ़ कर दिल बाग बाग हो गया

हार्दिक बधाई

शुरू के तीन शेर खास पसंद आये

हार्दिक बधाई

मतला के लिए अलग से ढेरो दाद कबूल फरमाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service