ऐसा शहर
ठिठुरती जिन्दगी
सड़कों पर
तार-तार है
नज़र अ़दाजी से
इंसानियत
जमती साँस
बच पाती अगर
आस किरण
एक कतरा
खुशहाली से भरा
उन्मुक्त हँसी
Comment
Saurabh ji ewam Yograj ji, bahut bahut dhanyawaad. aise hi ek tuchchh sa prayas karti hoo, warna aap logo ki to chhaya bhi nahi chhu sakti...
बहुत सधे और समृद्ध हाइकू पर मेरी बधाइयाँ स्वीकार करें.
आदरणीय नीलम जी, बहुत ही ज़बरदस्त हाइकु कहे हैं आपने, सुन्दर सन्देश देते हुए ! हर पंक्ति अपने आप में स्वतंत्र है जो कि आपकी रचनायों को एक कमाल की ऊंचाई प्रदान करती है, हार्दिक साधुवाद स्वीकार करें.
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