For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पतंगबाजी उर्फ तमन्नाओं की ऊँची उड़ान

तमन्नाओं की ऊँची उड़ान

का आभास हुआ

जब कुछ बच्चों को

घर की मुंडेर

पर चढ़कर

पतंग उड़ाते देखा

अलग अलग रंगों की

छटा बिखेरती,

ऊँची और ऊँची

चढ़ रही थी

आसमान में

परिंदे उड़ते हैं जैसे ।

 

मेरी पतंग ही रानी है

शायद यही सोचकर

लड़ाया पेंच एक बच्चे ने,

दूसरी पतंग धराशायी

हो गई

दूसरे बच्चे ने भी हार न मानी

फिर मांझा चढ़ाया

और दूसरे ही क्षण

उसकी शहजादी करने लगी

बातें हवा से ,

बदला पूरा लूंगा

यही सोच

उसने दी चुनौती

आसमान की रानी को

फिर पेंच भिड़ने लगे

कोई तैयार नहीं थे

हार मानने को ।

 

दावं पेंच चलते रहे

मैं सोचती रही  

खेल-खेल में

गली मोहेहल्ले में

कब सीख

जाते हैं  बच्चे, 

जीवन के गुरु

सफलता के राज

पैंतरे बाजी,

यदि हार को स्वीकार करना

भी सीख लें

यहीं, तो.....

तो जीवन आसान हो जाये ।

 

मांझा ही सिखाता है अकड़ पतगं को

बच्चा सोचता है  

जीत का सेहरा

सिर्फ मेरे ही सिर बंधे

मांझे को ढील दूं या खींचू,

बस मैं ही जीतूं..

खेल में यह हो सकता है ठीक 

क्योंकि खेल कुछ क्षणों का है

जीवन कुछ क्षणों का नहीं

थोड़ी लम्बी दौड़ है

इस लम्बी रेस का घोड़ा

बनने के लिए

सारी ताकत एक साथ

न लगा दें,

कुछ बचाकर रखें क्योंकि

जीत भी मिलेगी रास्ते में, तो

हार भी होगी

उस समय ये ताकत,

ये चुनौती काम आयेगी ।

 

मोहिनी चोरडिया

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on January 4, 2012 at 5:23pm

कितनी सहजता से और रोचकता के साथ चित्र बनाती है महत्वपूर्ण तथ्यों को रेखांकित का जाती है आपकी रचना...

सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by mohinichordia on January 4, 2012 at 8:34am

 आदरणीय बागी जी ,प्रयत्न,पुरषार्थ या कर्म करने में हार बिलकुल नहीं माननी है लेकिन किसी और की श्रेष्ठता स्वीकार करने का माद्दा जीवन में अवश्य पैदा करना चाहिए |हार को स्वीकार करने का यहाँ अर्थ लिया है, अहंकार से ,निराशा से दूर रहना कयोंकि अहंकार और निराशा ,दोनों आक्रोश पैदा करते हैं और ऐसे व्यक्ति दूसरों का ही नहीं अपना भी नुक्सान कर लेते हैं  |इस  पंक्ति को आप  कई दृष्टिकोण से देखें |सादर 

 

करता है औरआक्रोश में आने पर व्यक्ति दूसरों का और स्वयं का भी नुक्सान कर बैठता है 

Comment by Abhinav Arun on January 2, 2012 at 9:47pm
कथ्य तत्व से परिपूर्ण रोचक कविता बिलकुल  चित्र आँखों के सामने घूम गया | बहुत बहुत बधाई !!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 2, 2012 at 9:45pm

वाह आदरणीया, कितनी सरलता से बहुत बड़ी बात समझा दी, किन्तु हार न मानना भी जीने की एक कला है, जितने के लिए हर पल सार्थक प्रयास करते रहना चाहिए, जब तक जीवन रूपी मंझा शेष है , हार क्यों मानू ?

सुन्दर रचना पर बधाई स्वीकारे |

Comment by Mukesh Kumar Saxena on January 2, 2012 at 6:50pm
vahut seekh purn rachna
Comment by AK Rajput on January 2, 2012 at 1:09pm

कब सीख

जाते हैं  बच्चे, 

जीवन के गुरु

सफलता के राज

पैंतरे बाजी,

यदि हार को स्वीकार करना

भी सीख लें

यहीं, तो.....

तो जीवन आसान हो जाये....


खुबसूरत रचना क लिए बधाई   
Comment by दुष्यंत सेवक on January 2, 2012 at 11:52am

पतंग बाजी के मौसम में पतंग बाजी के संग जीवन की छोटी छोटी सीखें देती इस मनभावन तथा मन मोह लेने वाली रचना केलिए आदरेया मोहिनी जो को हार्दिक शुभकामनायें एवं बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
16 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service