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सामयिक दोहे:-
------------   ---------- 

कमर-तोड़ महंगाई पे,बारम्बार चुनाव!

एक गोद में सिसक रहा,उसपे भारी पांव.
------------   ----------   -----------------  --
फिर चुनाव आये सखी,झरने लगे बयान.
अपने-अपने नेता है,अपनी-अपनी तान.
------------   ----------   -----------------  --
लोकपाल है शोक में,जोक मारते लोग.
खुद होकर पाले नहीं ,नेता कोई रोग.
------------   ----------   -----------------  --
कौव्वों की इस भीड़ में,करिए हंस तलाश.
जिन लोगों की जिद्द पे टिका हुआ आकाश.
------------   ---------- 
अविनाश बागडे.

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Comment

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Comment by AVINASH S BAGDE on February 3, 2012 at 10:20am
आदरणीय Brij bhushan choubey ji ,.सुनीता शानू ji,Shanno Aggarwal mam, Sanjay Mishra 'Habib' bhai.मेरे दोहों को आप सब ने प्यार दिया.
आपका ह्रदय से आभार.
Comment by AVINASH S BAGDE on February 3, 2012 at 10:17am
आपका ह्रदय से आभार.
सौरभ जी मै धन्य हुआ.
Comment by Brij bhushan choubey on January 25, 2012 at 2:23pm
कौव्वों की इस भीड़ में,करिए हंस तलाश.
जिन लोगों की जिद्द पे टिका हुआ आकाश.....kya bat .....bahut khub .
Comment by सुनीता शानू on January 24, 2012 at 1:49pm

क्या बात! बहुत-बहुत बधाई बहुत सुन्दर दोहे लिखे हैं अविनाश जी।

Comment by Shanno Aggarwal on January 9, 2012 at 5:53am

बहुत सुंदर दोहे लिखे हैं. बधाई...अविनाश जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 7, 2012 at 10:20pm

बहुत अच्छे दोहे, अविनाश भाई. बहुत-बहुत बधाई.

कौव्वों की इस भीड़ में,करिए हंस तलाश.
जिन लोगों की जिद्द पे टिका हुआ आकाश.
 

उपरोक्त दोहे की जितनी तारीफ़ करूँ कम होगा.  दोहे के लिये आवश्यक पैनी दृष्टि और अति सधे विचार के लिये भाई आपको हृदय से बधाई दे रहा हूँ. आपने वस्तुतः बताया है जमीन की बात करने वाले कवि का वैचारिक आयाम क्या हो.  वाह !!

 

एक अनुरोध : पहले दोहे में पहली पंक्ति को दूसरी और दूसरी पंक्ति को पहली पंक्ति करके देखा जाय. इस थोड़े से फेर-बदल से कथ्य कुछ अधिक निखर कर सामने आयेगा क्या?

 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2012 at 8:47pm

संजय भाई, दोहे में गुरु+लघु भूल गए क्या ??????????

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on January 7, 2012 at 8:43pm

सारे दोहे आज की, सच्ची खींचे चित्र 

जागे सारा देश भी, यही कामना मित्र

बढ़िया प्रासंगिक दोहावली आदरणीय अविनाश भाई.... सादर बधाई.

Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2012 at 7:08pm

AjAy Kumar Bohat ji  bahut-bahut aabhar.

Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2012 at 7:07pm

सुन्दर गुलदस्ता बनी, दोहावली जनाब

सब दोहे खुशरंग हैं, जैसे फूल गुलाब.......वाह बहुत खूब योगराज प्रभाकर जी साधुवाद !!

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