For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हसीं इतना है तेरा ख्याल, पल भर के लिए दिल से निकलता नहीं|
पहले जैसे भी हम जी लिए पर, जीवन अब तेरे बिन देखो चलता नहीं||

वो गज़ब का समय था हमारे लिए, तेरी पहली नज़र का, पहले प्यार का|
सारी बाते बिछड़ जायेंगी एक दिन , कैसे भूलूंगा दिन तेरे इकरार का||
तेरे पहलू में रहने की जिद पे अड़ा, लाख बहलाऊं ये दिल बहलाता नहीं|
हसीं इतना है तेरा ख़याल...............................................

तेरे गेसुओं की घनी छाँव में, मेरा डेरा बने, एक बसेरा बने|
मेरी हर शाम हो अब इन्ही के तले, अब इन्ही के तले हर सवेरा बने||
ये खुमारी तुम्हारी है ऐसी चढ़ी, लाख सम्हालूं ये दिल सम्हलता नहीं|
हसीं इतना है तेरा ख़याल...............................................

तेरी भौंहे की जैसे हो कोई कटार, ये पलक इस फलक से भी अच्छे बने|
बीच में जिनके आँखों की संजीवनी, पीकर ही मेरे आगे का जीवन चले||
जीवन दायिनी को फिर कैसे भूलूं, जीवन इसके बिना जबकि चलता नहीं|
हसीं इतना है तेरा ख़याल...............................................

होंठ ऐसे की जैसे हो प्याला कोई, ये छलकती नशीली गुलाबी शराब|
इस कदर अधरों से लगा के पियूँ, छोड़कर के हया भूल कर अपनी आब||
मस्त होकर नशे में तेरे ऐसे चलूँ, मदमस्त शराबी हो चलता कहीं|
हसीं इतना है तेरा ख़याल...............................................

आशीष यादव

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on November 7, 2011 at 12:28pm
आशीष जी उम्र का तकाज़ा है :-)) वैसे इन्हीं रचनाओं के पीछे एक संवेदनशील कवि की संभावनाएं छिपी होती हैं | उस कवि को सलाम और इस रचना को भी बिलकुल अनुभूति को काव्य में ढाल दिया आपने बधाई !!
Comment by आशीष यादव on September 17, 2010 at 2:56am
thankyou baban pandey ji
Comment by baban pandey on September 16, 2010 at 11:42am
पूरा सजा कर रखा है भाई ......बधाई
Comment by आशीष यादव on September 6, 2010 at 10:25am
मै सभी गुनीजनो की सराहना से अत्यंत प्रसन्न हूँ | मै सलिल जी का विशेष आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मुझे इतना सब कुछ बताया| मै आशा करता हूँ की ऐसे ही आप लोगो का प्रेम मेरी कवितावों को मिलेगा|
Comment by Subodh kumar on September 5, 2010 at 4:10pm
bahut khoob....ashish jee..
Comment by sanjiv verma 'salil' on September 5, 2010 at 1:06pm
हसीं इतना है तेरा ख्याल, पल भर के लिए दिल से निकलता नहीं| = ३७ मात्रा
पहले जैसे भी हम जी लिए पर, जीवन अब तेरे बिन देखो चलता नहीं|| = ४२ मात्रा
तेरे पहलू में रहने की जिद पे अड़ा, लाख बहलाऊं ये दिल बहलाता नहीं = ४५ मात्रा

मात्राओं के असंतुलन से गीत की लाया भंग होती है. गीति रचना में कथ्य के सामान ही शिल्प का भी महत्त्व है. ''छोड़कर के हया भूल कर अपनी आब||'' क्या यह साहित्य (जो सबके हित के लिये है )में सम्मान पायेगा? सब कुछ साफ़-साफ़ कहना जरूरी नहीं है. बहुत कुछ संकेतों से भी कह दिया जाता है.

आपमें काव्य-रचना की प्रतिभा है. उसे तरशिये. रचना वरिष्ठों को दिखा-सुधारकर तब छापें तो अधिक सराहना पाएँगे.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 5, 2010 at 10:30am
होंठ ऐसे की जैसे हो प्याला कोई, ये छलकती नशीली गुलाबी शराब|
इस कदर अधरों से लगा के पियूँ, छोड़कर के हया भूल कर अपनी आब||
मस्त होकर नशे में तेरे ऐसे चलूँ, मदमस्त शराबी हो चलता कहीं|
हसीं इतना है तेरा ख़याल...


वोहो क्या बात है आशीष भाई, जरूर कोई राज है, वर्ना ऐसी रचना अकस्मात् नहीं बनती, जय हो ,
Comment by आशीष यादव on September 5, 2010 at 9:20am
kabhi tasawwur ke aalam me likh diya tha.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service