For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत दुखते हैं

पुराने घाव ,

जब आती हैं

मरहम लगाने

नई उँगलियाँ !

उन्हें नही पता -

कितनी है

जख्म की गहराई ,

क्या होगी

स्पर्श की सीमा !

उनमे नही होती

पुराने हाथों जैसी छुअन !

 

रिसने दो

मेरे घावों को ,

क्योकि बहुत दुखतें हैं

पुराने घाव

जब आती है

मरहम लगाने

नई उँगलियाँ !

 

अब और दर्द सहा न जाएगा !

 

 

.................................... अरुन श्री !

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on February 25, 2012 at 12:02pm

बागी सर , आपके आत्मीय शब्दों ने मन में जिस ऊर्जा का संचार किया वो अवर्णनीय है ! धन्यवाद ! दृष्टि बनाए रखें !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 25, 2012 at 11:34am

अरुण सच में आपको पढ़ना हमेशा ही आनंदपूर्ण रहा है, घाव, मरहम और उंगलियाँ नई उंगलियाँ, इन बिम्बों को उठाकर आपने रचना को सोच की ऊँचाइयों पर ले गए है, बधाई स्वीकार करें |

Comment by Arun Sri on February 25, 2012 at 10:18am

आदरणीय सतीश सर , आपकी जैसे गुणी और वरिष्ट की सराहना अनायास ही आत्ममुग्धता का कारण बन जाती है ! मेरी रचना को अलंकृत करने के लिए सादर धन्यवाद ! नमन आपको !

Comment by satish mapatpuri on February 25, 2012 at 10:07am

मरहम लगाने

नई उँगलियाँ !

उन्हें नही पता -

कितनी है

जख्म की गहराई ,

क्या होगी

स्पर्श की सीमा !

उनमे नही होती

पुराने हाथों जैसी छुअन

वाह ........  गज़ब का सम्प्रेषण ....... खुबसूरत कहन .......... सुन्दर भाव ......... बधाई अरुण जी
Comment by Arun Sri on February 24, 2012 at 10:49am

आशुतोष सर , रचना आपके ह्रदय को छू सकी तो लिखना सफल रहा ! धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on February 24, 2012 at 10:49am

आदरणीय सौरभ सर , आपकी सराहना पाना किसी भी रचना के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं ! मेरी इस रचना को अलंकृत करने के लिए सादर धन्यवाद !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 23, 2012 at 3:25pm

बहुत ही संवेदनापूरित रचना है, अरुणजी.  रचना के आयाम ने मुग्ध कर दिया.

शुभेच्छाएँ.

Comment by Arun Sri on February 23, 2012 at 1:18pm

आशा मैम , आपकी सराहना ने गौरवान्वित किया ! दृष्टि बनाए  रखे ! धन्यवाद !

Comment by asha pandey ojha on February 23, 2012 at 12:58pm

 aaaaaaaaaahhhhhhhhhhh awesome poetry 

Comment by Arun Sri on February 23, 2012 at 12:14pm

नीरजा मैम , ये दर्द के लम्हे ही ती जीवन का एहसास कराते है , बताते है कि हम अभी जिन्दा हैं !

सुना है " काँटों को मुरझाने का खौफ नही होता !"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
13 hours ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service