जन्मदिन पर .
तुमनें दी
शुभकामनाएं
कुछ की
प्रभु से प्रार्थनाएं .
सोचता हूँ
तुम्हें आभार दूँ
या दिल की
गहराइयों से चलकर
रूह के धरातल पर
उबलते , उफनते
विचार दूँ ?
क्या बता दूँ ?
की मैं क्यों
हो जाता हूँ उदास
क्यों बस
एक ही एहसास
मुझे कर जाता है
अंतर से बदहवास
हर साल
जब देती हो तुम
कुछ सपनों में ढाल
प्रेम से बुना
दिल से चुना
सपनों का जाल
जो मुझे कर जाता है
कुछ मन से
कुछ रूह से
अक्सर निढाल .
अपने पीड़ा
कैसे बताऊँ
मैं तुम्हें ?
रूह के जख्मों को
कैसे दिखाऊ
मैं तुम्हें ?
अपनें हर
जन्म दिन पर
मैं हो रहा हूँ
एक सुंदर लकड़ी सा
जिसमें लग चुका है घुन
घुन...
अहम् का
बहुत सारे
भ्रम का.
सभी नें देखा है
इस लकड़ी की
सुन्दरता को
ऊपर से ही तो
उसने नहीं बताया
कि वो खोखली है
अपनें अहम् के घुन से
भौतिकता की पागल धुन से
मैं उदास हूँ
क्यूंकि मैं जानता हूँ
मेरी हमसफ़र
जनम दिन पर
मुझे पुराना व खोखला
नहीं होना था
बल्कि
विकसित होना था
क्या मैं हो पाया ?
बताओगी ज़रा ?
रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा...EDITED ALL NEW ON 27.02.2012
Comment
bahut khoob ... janmdin ki dheron shubhkamnayen aapko Ajay ji
डॉ अजय कुमार जी, एक अच्छी रचना और जन्म दिन दोनों की बधाइयाँ स्वीकार करें |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online