फाग बड़ा चंचल करे, काया रचती रूप !
भाव-भावना-भेद को, फागुन-फागुन धूप !!
फगुनाई ऐसी चढ़ी, टेसू धारें आग
दोहे तक तउआ रहे, छेड़ें मन में फाग ॥
भइ, फागुन में उम्र भी करती जोरमजोर
फाग विदेही कर रहा, बासंती बरजोर !!
जबसे सींचित हो गये, बूँद-बूँद ले नेह ।
मन में फागुन झूमता, चैताती है देह !!
बोल हुए मनुहार से, जड़वत मन तस्वीर
मुग्धा होली खेलती, गुद-गुद हुआ अबीर ॥
धूप खिली छत खेलती, अल्हड़ खोले केश ।
इस फागुन फिर रह गये, बचपन के अवशेष ॥
करता नंग अनंग है, खुल्लमखुल्ले भाव
होश रहे तो नागरी, जोशीले को ताव .. !
हम तो भाई देस के, जिसके माने गाँव ।
गलियाँ घर-घर जी रहीं - फगुआ, कुश्ती-दाँव ॥
****************
सौरभ
Comment
आदरणीया कान्ताजी, आपके अनुमोदन से फागुनी दोहे खिल उठे !
पुरानी रचनाओं से गुजरना स्वयं मेरे लिए भी उन जिये हुए क्षणों से गुजरना है.. आभार
आपके साथ भाई अजीतेन्दु एवं आदरणीय सूर्या बाली को भी हार्दिक धन्यवाद कह रहा हूँ.
सौरभ जी दोहों के माध्यम से आपने फागुन की खूबसूरती का मनभावन वर्णन किया है। बहुत अच्छा !!
सौरभ जी सादर प्रणाम
सादर धन्यवाद भ्रमरजी.
फगुनाई ऐसी चढ़ी, टेसू धारें आग
दोहे तक तउआ रहे, छेड़ें मन में फाग ॥
प्रिय भ्राता श्री
भइ, फागुन में उम्र भी करती जोरमजोर
फाग विदेही कर रहा, बासंती बरजोर !!
आदरणीय चातक जी, इन दोहों पर आपकी दृष्टि और आपका अनुमोदन मेरे लिये अत्यंत ही सुखकारी है. सहयोग बना रहे.
सादर
भाई राकेश जी, सुर में सुर मिले और समां न बँधे ! आपने दोहों को अनुमोदित किया, हम आभारी हैं. सहयोग बना रहे.
हार्दिक धन्यवाद
आपकी नज़रेसानी मुझपे करम, आदरणीय योगराजभाईजी. क्या ताल दी है आपने. वाह ! अबके होली यादगार हो गयी.
स्नेही सौरभ जी, सादर अभिवादन, फागुन और फाग का ये खूबसूरत वर्णन दिल को छू गया |
अच्छे लेखन पर हार्दिक बधाई !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online