हम लगायेंगे जबान पर मसाला नहीं,
अपनी गजलो में शऊर का ताला नहीं.
पैरवी उनके हसीन दर्द की क्या करें,
जिनको लगा धूप नहीं, पाला नहीं.
मेहदी की तारीफ हम कैसे कर पाएँ,
गाव मे एक हाथ नही जिसमे छाला नही.
सावन में मिट्टी की खुशबू उनके लिए है,
जिनके घरो से होके बहता नाला नहीं.
गुटखा बेचने के लिए ट्रेनो में घूमता है,
दूध के दांत टूटे नहीं, होश संभाला नहीं.
सर झुका के भजने लिखूंगा, अगर,
सबको रोटी की फ़रियाद, टाला नहीं.
मदहोशी के कसीदो में वो कहाँ है?
जिनके आंसू में 'अम्ल' है, हाला नहीं.
Comment
आपने पथरीली जमीं पर फुलवारी की है
रचना से चमन लालाजार हो गया
बधाई
आनंद भाई बहुत बहुत शुक्रिया. आपकी नज़रें इनायत हुई, हमारी रचना को आगे बढ़ाने के लिए, आभार.
योगी जी और शैलेंद्र जी इस कृति को सम्मान देने के लिए आभार
योगी जी, मेरी और कोई मंशा नही थी, बात यह है की मई इस पर टाइप करने का अभ्यस्त नही हूँ, और हर बार "bade ai" की मात्रा नही लग रही है, देखिए "mai" का बार बार मई हो जा रहा है. इसलिए ही सवैया नही कह पाया था. घानाक्षरी भी ऐसे ही बिगड़ गई थी. क्षमा प्रार्थी हूँ.
सशक्त कृतित्व बधाई स्वीकार करें
ऐडमिन (२०१२०३०३०३) :
राकेशजी, आपकी रचनाओं से प्रतीत होता है कि आप गंभीर प्रकृति के रचनाधर्मी हैं. आप अपनी प्रतिक्रियाओं को अपलोड करने के पूर्व एक बार अवश्य पढ़ लिया करें. छंदों के नाम सवैया और घनाक्षरी होते हैं.
आप नये सदस्य हैं, कृपया यह जानें कि ओ बी ओ सामान्य सोशल नेटवर्किंग साइट नहीं है. इस मंच का उद्येश्य एकदम स्पष्ट है. आगे आप स्वयं निर्णय कर लें कि आप अपनी उपस्थिति से किस तरह का महौल चाहते हैं. प्रबन्ध समिति की दृष्टि सभी सदस्यों पर रहती है.
आपसे इस मंच पर गंभीरता और अनुशासित आचरण अपेक्षित है.
सुन्दर अशार .
अच्छा जी, कुछ और समझा था. आपकी बात का ध्यान रखूँगा, वैसे तो मैने आपकी सारी ही रचनाए पढ़ डाली है, पर आपके लिखे सवाये और घानकचरी बहुत आचे है,
राकेशजी, अनुरोध है कि आप अपनी रचना के संदर्भ की हुई टिप्पणियों से संबन्धित प्रश्न इसी पटल पर करें. इससे सभी संदर्भों का समुच्चय बना रहता है.
धूप लगा करती है : फिल वक़्त मेरी कोई रचना इस नाम से उपलब्ध नहीं है, संभवतः भविष्य में हो. वस्तुतः मेरा इंगित था कि आप अपने सभी शे’र को देख जायँ.
वैसे मेरे लिये अब यह जानना रोचक होगा कि इस पटल पर आप मेरी कौन-कौन सी रचना ढूँढ पाये हैं. और यह भी कि क्या मेरा रचनाकर्म किसी लिहाज से आपको समीचीन लगा है.
सधन्यवाद
माननीय अरुण जी, वीनस जी, सौरभ जी, सादर नमस्कार, सुप्रभात. आप लोगो की तारीफ सर आँखो पर धन्यवाद.
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