बज उठे नगाड़े हैं, फाग फगुन गा रहा |
सज गया पलासों से, कानन इठला रहा ||
रस भरे नज़ारे हैं, फूल महकते सभी,
भँवरे अकुलाए हैं, बाग उन्हें बुला रहा ||
गगन में गुलालों का, इंद्रधनुष भी खिला,
कारवां खुशहाली का, मंगलमय छा रहा ||
रंग बिरंग राहें भी, भूल बैर गले मिलीं,
भोर मगन वीणा ले, गीत गुनगुना रहा ||
मन मयूर नाचे है, झूम कर बसंत सा,
हबीब मस्त नैनों से, रंग है बरसा रहा ||
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होली की सादर बधाईयां....
Comment
सर्वादरनीय प्रदीप कुमार जी, राजेश कुमारी जी, वाहिद भाई, अभिनव भाई... उत्साह वर्धन के लिए सादर आभार.
स्नेह बना रहे. सादर...
सादर आभार सौरभ बड़े भईया... निवेदन कि आपका मार्गदर्शन अनुज को मिलता रहे...
सादर.
क्या कहने श्री हबीब जी वाह प्रकृति और फागुन का अदभुत समन्वय !!
मन मयूर नाचे है, झूम कर बसंत सा,
हबीब मस्त नैनों से, रंग है बरसा रहा
आदरणीय हबीब जी,
होली के अवसर पर लाजवाब प्रस्तुति| बधाई स्वीकार करें|
वाह हबीब जी बेहतरीन अनुष्टुप
गगन में गुलालों का, इंद्रधनुष भी खिला,
कारवां खुशहाली का, मंगलमय छा रहा ||
vaah...
sundar prastuti, badhai, shubh holi.
छंद सभी निराले हैं, शिल्प-कथ्य सधे हुए
संजय जो सुनाते हैं, लगे, फागुन गा रहा ॥
बहुत-बहुत बधाई व होली की शुभकामनाएँ, संजय ’हबीब’ जी.
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