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कविता : - स्नेह अटल है !

कविता : - स्नेह अटल है !
 

झर झर झरता झीना झीना

जीवन जल है .

फाहा फाहा फहरें फर फर 

साँसें छल है .

मह मह मतिभ्रम में मानव मन

विकट विकल है .

नूपुर नवल नवनील नीरवता

आशा कल है .

उन्मत्त ऊर्जा उर उर्ध्वाधर

रक्त प्रबल है .

क्षमा क्षरण क्षय क्षितिज क्षुब्धवत

कैसा हल है .

अदम आदमी आदम अदभुत

स्नेह अटल है  .

सृजन सुफल सृष्टि संश्लेषित

श्रेष्ठ सरल है .

पुष्प पलाश प्रेममय पाश

तलहटी  तल है .

विदा विलोम विपुल विभ्रम वश

शाश्वत फल है .

 

                   - अभिनव अरुण

                      (13032012)

 

 

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Comment

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Comment by Abhinav Arun on March 13, 2012 at 1:49pm
Param Adarniy shri sampadak mahoday apka ashirwad pa ye tuchchh rachna dhany hui.Ahbaar!
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 13, 2012 at 1:37pm

वाह!! आपकी जितनी भी तारीफ़ की जाए वो काम है| पूरी कविता में अलंकार का ऐसा सुन्दर प्रयोग मैंने पहले कभी नहीं देखा| अत्यंत ही सुन्दर| लाजवाब कविता 'अभिनव' जी| प्रशंसा के लिए शब्द ही नहीं मिल रहे|


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on March 13, 2012 at 1:12pm

आहा हा हा हा !!! क्या ही कमाल की अभिव्यक्ति और क्या ही सुंदर अनुप्रास अलंकार से अलंकृत कविता कही है आदरणीय अरुण भाई जी, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

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