For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ मेरे पास कोई सहारा नहीं,

मगर मैं बेबस बेचारा नहीं;

*

सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब
मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;

*

वो जिसे हम अपना समझते रहे,
आज जाना के वो हमारा नहीं;

*

थोड़ी सी ज़मीन मुट्ठी भर आसमान,
आज करने को मेरे ये भी गुज़ारा नहीं;

*

ज़िंदगी यूँ तो अमावस सी है मेरी,
पर फ़लक में कोई भी सितारा नहीं;

*

हाँ भटकता हूँ मैं दरबदर माना यूँ ही

पर मैं सड़कों का कोई आवारा नहीं;

*

जाते-जाते लगा कोई बुलाता है 'वाहिद',
फिर के देखा तो किसी ने पुकारा नहीं;


Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 23, 2012 at 1:04pm

पुनरागमन एवं सराहना हेतु तहे दिल से शुक्रिया वीनस जी! :))

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 12:29pm

सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब
मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;


ग़ज़ल अच्छी है
यह शेर खास पसंद आया

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 16, 2012 at 7:24pm

सादर आभार वीनस जी,

आप सब गुणीजनों के सान्निध्य में सुधार आ ही जाएगा|

Comment by वीनस केसरी on March 16, 2012 at 2:09pm

सुन्दर भाव हैं
अभिवयक्ति को आपने सुन्दर शब्द संयोजन दिया है

शिल्प पर चिंतन मनन होना चाहिए

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 16, 2012 at 11:01am

सादर आभार आदरणीय राजीव जी आप द्वारा प्रोत्साहन के लिए.

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 16, 2012 at 10:32am

बहुत सुन्दर गजल है,संदीप जी.

वो जिसे हम अपना समझते रहे,

आज जाना के वो हमारा

बहुत खूब.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 15, 2012 at 12:58pm

आदरणीय कुशवाहा जी आपका हार्दिक आभार,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 15, 2012 at 12:01pm

जाते-जाते लगा कोई बुलाता है 'वाहिद',
फिर के देखा तो किसी ने पुकारा नहीं;

बहुत खूब. सुन्दर भाव एवं प्रस्तुति. बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 15, 2012 at 10:36am

आदरणीय सौरभ जी,

आप जैसे गुणी व्यक्तित्व के सानिध्य में मुझ में अपेक्षित सुधार होगा ऐसा मेरा विश्वास है| प्रोत्साहित करते शब्दों के लिए कृतज्ञ हूँ|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 10:26am

कहन में क्या दम है ! वाह !  शे’र दर शे’र इस बात की पुष्टि होती जाती है.

मैं शिल्प के संदर्भ में क्या कहूँ. आप साझा करें, हम समवेत सधते जायेगे. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सादर अभिवादन तुम्हारी ख़्वाहिशों से याद आया हमें कुछ तितलियों से याद आया मैं वो सब भूल जाना चाहता…"
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service