For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे ही पुत्रों ने,
मुझे,
लूटा है बार-बार!
एक बार नहीं,
हजार बार!
अपनी अंत: पीड़ा से
मैं रोई हूँ, जार जार!
हे, मेरे ईश्वर,
हे मेरे परमात्मा,
दे इन्हें सदबुद्धि,
दे इन्हें आत्मा,
न लड़ें, ये खुद से,
कभी धर्म या भाषा के नाम पर,
कभी क्षेत्रवाद,

जन अभिलाषा के नाम पर.
ये सब हैं तो मैं हूँ,
समृद्ध, शस्य-श्यामला.
रत्नगर्भा, मही मैं,
सरित संग चंचला.
मत उगलो हे पुत्रों,
अनल के अंगारे,
जल जायेंगे,
मनुज,संत सारे.
——————————
हे महादेव, हे नीलग्रीवा,
धरो रूद्र रूप, करो संतसेवा.
करो भस्म तम को, नृत्य तांडव करो तुम,
घट विष का हे शिव, करो अब शमन तुम.
—————————————
हे मेरे राम, कब आओगे काम!
हे मेरे आका बचा लो ‘निज’ धाम.
सिया अब पुकारे, हरण से बचा ले,
ये रावणों की सेना, लेते हैं तेरा नाम.
जरूरत नहीं है, अब लंका दहन की,
अवधपुर जले हैं, जरूरत शमन की.
असुर अब बढ़े हैं, करें नष्ट तपवन.
कहाँ तप करें अब, संत और सज्जन.
लखन औ विभीषण खड़े साथ ही हैं.
अगर है जरूरत, तो पार्थ भी है.
चढ़ाओ प्रत्यंचा, खड्ग को सम्हालो,
माँ काली, हे देवी, रिपु को खंगालो !
माँ काली, हे देवी, रिपु को खंगालो !

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 5, 2012 at 7:04am
आदरणीय राजेश कुमारी  जी, सादर अभिवादन!
आपका आशीर्वाद मेरे लिए अमृत के सामान है!  आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार! 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 9:33pm

आज के पथ भ्रमित समाज को दर्पण दिखाती हुई रचना जबरदस्त अंतर्नाद जाग्रत करती हुई हुंकार ....बहुत अच्छी रचना.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2012 at 9:23pm

आदरनीय शशिभूषण जी, सादर अभिवादन! आप कहाँ खो गए हैं आजकल कहीं नजर नहीं आ रहे हैं! उत्साहवर्धन के लिए आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2012 at 9:21pm

आदरनीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी, अश्विनी कुमार जी, संदीप जी,  सौरभ जी,  आप सबको मेरा हार्दिक आभार! प्रतिक्रिया का जवाब देर से देने के लिए क्षमाप्रार्थी!

Comment by Dr. Shashibhushan on March 17, 2012 at 10:04pm

आदरणीय जवाहर भाई,
सादर !
आपके पीछे-पीछे मैं भी आ गया !
जगह है न ? यहाँ तो बहुत अच्छा
है ! कई पहचाने लोग हैं !
भावपूर्ण रचना ! बधाई !
(ये मेरा पहला कमेन्ट है )

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 17, 2012 at 9:17pm

Thanks Rajeev Jhajee!

Comment by RAJEEV KUMAR JHA on March 17, 2012 at 9:00pm

बहुत सुन्दर भाव हैं,आदरणीय जवाहर जी.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 17, 2012 at 7:37am

महिमा जी, नमस्कार!

प्रतिक्रिया के लिए आभार!

Comment by MAHIMA SHREE on March 16, 2012 at 3:22pm
चढ़ाओ प्रत्यंचा, खड्ग को सम्हालो,
माँ काली, हे देवी, रिपु को खंगालो !

आदरणीय जवाहर जी
नमस्कार ...बाप रे बाप आपका अंतर्नाद तो ..एक जबरदस्त हुंकार.....है...सोते हुए को भी जगा दे.....बहुत-२ बधाई...वन्देमातरम
Comment by अश्विनी कुमार on March 16, 2012 at 8:41am

स्नेही जवाहर जी ,सादर अभिवादन .....अति सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,,,जय भारत

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
33 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
37 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
38 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
39 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
39 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
41 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
44 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
58 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service