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लघु कथा : हाथी के दांत 

बड़े बाबू आज अपेक्षाकृत कुछ जल्द ही कार्यालय आ गए और सभी सहकर्मियों को रामदीन दफ्तरी के असामयिक निधन की खबर सुना रहे थे. थोड़ी ही देर में सभी सहकर्मियों के साथ साहब के कक्ष में जाकर बड़े बाबू इस दुखद खबर की जानकारी देते है और शोक सभा आयोजित कर कार्यालय आज के लिए बंद करने की घोषणा हो जाती है | सभी कार्यालय कर्मी इस आसमयिक दुःख से व्यथित होकर अपने अपने घर चल पड़ते  है | बड़े बाबू दफ्तर से निकलते ही मोबाइल लगा कर पत्नी से कहते है "सुनो जी तैयार रहना मैं आ रहा हूँ, आज  सिनेमा देखने चलना है"

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Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 20, 2012 at 1:47pm

आदरणीय बागी जी,

ग़ज़ब का कटाक्ष किया आपने! बहुत ख़ूब..

Comment by Lal Bihari Gupta LAL on March 20, 2012 at 12:06pm

सामाज की यही हालात रही है कि हाथी के दांत खाने को और तथा दिखाने को और। पर अब हालात बदल गए है जनता जागरुक हो गई है। इसलिए अब हाथी के दांत की कहावत गुजरे जमाने की वात हो गई है। पर लधु कथा बढिया है।

लाल बिहारी लाल,नई दिल्ली-44

Comment by Harish Bhatt on March 20, 2012 at 11:00am

aadarniya bagi ji saadar  pranaam......... yah samaaj ka kadhwa sach hai. kathni aur karni me jamin aasma ka antar hai.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 20, 2012 at 10:08am

बहुत बहुत आभार आदरणीया नीरजा अरोरा जी ।

Comment by MAHIMA SHREE on March 20, 2012 at 10:08am
नमस्कार बागी साहब,
बधाई आपको .....ये हमारा समाज की कडवी सच्चाई है....लोग कई चेहरे लगा कर जीते है....इस लिए तो कहते है ..दुनिया एक नाटक है..

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 19, 2012 at 10:45pm

आदरणीय प्रदीप भाई साहब , कब क्या और कैसे कोई विचार घर कर जाए कहना मुश्किल है, यह लघु कथा भी कुछ उसी तरह का उदाहरण है जो मेरे निमित पोस्ट हो पाया है, सराहना हेतु कोटिश : आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 19, 2012 at 10:42pm

आदरणीया डॉ साहिबा, प्रणाम और आभार , आप इस कथा के आत्मा तक पहुची , शुक्रिया आपका |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 19, 2012 at 10:29pm

ye hakikat main hota hai, katha nahi sachi katha hai. 

badhai. patal par rakhne hetu. mahodaya ji saadar abhivadan ke saath swikar karne ka kasht karen. 

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