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जवाहरात व्यवसायी रामकिशन ने अपनी पढ़ी लिखी लड़की सोनाली के लिए अच्छा वर

तलाशने हेतु पांच सितारा होटल में उच्च घर्राने के कई लडके देखने के बाद, आखिरकार  सम्भ्रान्त परिवार के ही डा. राजवंशी के पौत्र एवं योगेश के पुत्र सौरभ के साथ सम्बन्ध तय किया |विवाह में शान-ओ-शौकत में काफी खर्चा किया एवं दहेज़ में भी जेवरात एवं
 कार देकर लड़की को बिदा किया |  राजवंशी के तीनो पुत्रो का स्वतन्त्र व्यवसाय था | पर सौरभ अपने पिता के साथ न बैठकर अंपने चाचा की होटल में बैठता था |किन्तु कुछ समय पश्चात वहां जाना भी पारिवारिक रिश्तो में अपरिहार्य कारणों से बंद हो गया |
आखिरकार रामकिशन ने अपने दादाम सौरभ को अपने पुत्र दिलीप के जवाहरात व्यवसाय में ही सम्मिलित कर लिया | कुछ समय तक सम्मिलित रूप से साझा व्यवसाय करते हुए जीजा-साले जवाहरात व्यवसाय के साथ साथ चांदी के वायदा(सट्टा) कारोबार में भी उतर गए | वायदा कारोबार में शुरू में अच्छा लाभ देख, काम का विस्तार किया और पूजी निवेशित की पर कुछ समय बाद ही काफी नुक्सान में आ गए | अब दूरभाष पर ग्राहकों से ऊँची आवाज में बतियाने और देर रात तक घर लौटने के दिलीप की तरह ही उसके जीजा सौरभ की भी आदत बन चुकी थी | २ वर्ष पश्चात ही जीजा-साले में बातचित तू-तडाके से होने लगी | इधर रामकिशन के छोटे भाई बालकिशन की सांवलेरंग, पर शिक्षित लड़की अर्पिता का उनसे कम  प्रतिष्ठित पर, शिक्षित नौकरी पेशा परिवार के लड़के कल्पित के साथ स्वेच्छिक  (लव-मैरिज)विवाह हो गया | कल्पित और अर्पिता दोनों ही नौकरी कर खुइशी जीवन व्यतीत करने लगे | अपने भाई की लड़की अर्पिता को खुश देखकर रामकिशन को अहसास हो गया क़ि पैसा खर्च करके ही लड़की के लिए खुशिया नहीं खरीदी जा सकती | अपनी चचेरी बहिन अर्पिता कि खुशी और उसके पति कल्पित का ससुराल में मान-सम्मान देखकर सोनाली को भी अहसास हो गया क़ि सौरभ काससुराल में साले के व्यसाय में सम्मिलित होना एक भूल थी और इससे ससुराल में ही नहीं,रिश्तेदारी और समाज में भी प्रतिष्टा कम हुई है |

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 20, 2012 at 1:56pm

sundar katha , badhai.

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