For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जवाहरात व्यवसायी रामकिशन ने अपनी पढ़ी लिखी लड़की सोनाली के लिए अच्छा वर

तलाशने हेतु पांच सितारा होटल में उच्च घर्राने के कई लडके देखने के बाद, आखिरकार  सम्भ्रान्त परिवार के ही डा. राजवंशी के पौत्र एवं योगेश के पुत्र सौरभ के साथ सम्बन्ध तय किया |विवाह में शान-ओ-शौकत में काफी खर्चा किया एवं दहेज़ में भी जेवरात एवं
 कार देकर लड़की को बिदा किया |  राजवंशी के तीनो पुत्रो का स्वतन्त्र व्यवसाय था | पर सौरभ अपने पिता के साथ न बैठकर अंपने चाचा की होटल में बैठता था |किन्तु कुछ समय पश्चात वहां जाना भी पारिवारिक रिश्तो में अपरिहार्य कारणों से बंद हो गया |
आखिरकार रामकिशन ने अपने दादाम सौरभ को अपने पुत्र दिलीप के जवाहरात व्यवसाय में ही सम्मिलित कर लिया | कुछ समय तक सम्मिलित रूप से साझा व्यवसाय करते हुए जीजा-साले जवाहरात व्यवसाय के साथ साथ चांदी के वायदा(सट्टा) कारोबार में भी उतर गए | वायदा कारोबार में शुरू में अच्छा लाभ देख, काम का विस्तार किया और पूजी निवेशित की पर कुछ समय बाद ही काफी नुक्सान में आ गए | अब दूरभाष पर ग्राहकों से ऊँची आवाज में बतियाने और देर रात तक घर लौटने के दिलीप की तरह ही उसके जीजा सौरभ की भी आदत बन चुकी थी | २ वर्ष पश्चात ही जीजा-साले में बातचित तू-तडाके से होने लगी | इधर रामकिशन के छोटे भाई बालकिशन की सांवलेरंग, पर शिक्षित लड़की अर्पिता का उनसे कम  प्रतिष्ठित पर, शिक्षित नौकरी पेशा परिवार के लड़के कल्पित के साथ स्वेच्छिक  (लव-मैरिज)विवाह हो गया | कल्पित और अर्पिता दोनों ही नौकरी कर खुइशी जीवन व्यतीत करने लगे | अपने भाई की लड़की अर्पिता को खुश देखकर रामकिशन को अहसास हो गया क़ि पैसा खर्च करके ही लड़की के लिए खुशिया नहीं खरीदी जा सकती | अपनी चचेरी बहिन अर्पिता कि खुशी और उसके पति कल्पित का ससुराल में मान-सम्मान देखकर सोनाली को भी अहसास हो गया क़ि सौरभ काससुराल में साले के व्यसाय में सम्मिलित होना एक भूल थी और इससे ससुराल में ही नहीं,रिश्तेदारी और समाज में भी प्रतिष्टा कम हुई है |

Views: 315

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 20, 2012 at 1:56pm

sundar katha , badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service