आज मन में क्यूँ उठी मेरे लहर
चाँद जाने दे गया कैसी खबर
चलो घर को अपने करीने से सजा लूँ
किसको साथ लाती है मेरी सहर
बहकी बहकी सी फ़िजा लगती है
कौन जाने है ये किसका असर
वो तो समझो है शाइस्तगी मेरी
वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर
आजकल दरवाजे उनके बंद रहते हैं
चुपचाप ना जाने वो गए किधर
रुसवाइयों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
कसम से हैं वो बड़े बेखबर
रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
मुड़ गया इस और जो उसका कहर
आज मन में क्यूँ उठी मेरे लहर
Comment
hardik aabhar Avinash ji.
रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
मुड़ गया इस और जो उसका कहर
आज मन में क्यूँ उठी मेरे लहर .....umda prastuti Rajesh kumari ji...wah!
hardik badhaai Neerja ji
hardik aabhar Sandeep ji.
बहुत ख़ूब आदरणीया! आपने दिल खुश कर दिया! हार्दिक बधाई!
aabhar Aasheesh ji
वो तो समझो है शाइस्तगी मेरी
वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर
sahi hai.
sundar rachna.
badhai.
tahe dil se shukria Manoj ji.
Anand ji bahut bahut shukria.
haardik aabhar Pradeep ji
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