तेरी खामोशी
ये कहां ले आई मुझे
तेरी एक
हां के इंतजार में
बदल गए
रास्ते जिंदगी के
जाना था कहां
पहुंच गए यहां
तेरी राह
देखते-देखते
इरादे पस्त हो गए
अब तो यह आलम है
दिल रोता है
शब्द निकलते है
दुनिया हंसती है
और
कहती है मुझे पागल
कहती है तो कहे
हम पागल ही अच्छे
किसी को
गुमराह तो नहीं करते
बस यूं ही लिखते है
मन को शांत करते है
और क्या रखा है अब
यूं ही प्यार से मिलते है
शायद
किसी की दुआ
हो जाए मेरे नाम
और
ख़ामोशी के आलम में
बना डालू
शब्दों का ताजमहल
Comment
तेरी खामोशी
ये कहां ले आई मुझे
तेरी एक
हां के इंतजार में
बदल गए
रास्ते जिंदगी के
श्री हरीश सर उच्च कहन के लिए एवं भावों को उद्घृत करने के लिए बधाई स्वीकार करें
इस आत्म-सांत्वनापरक विचार पर आपको ह्आर्दिक धन्यवाद
अब तो यह आलम है
दिल रोता है
शब्द निकलते है
दुनिया हंसती है....किसी को
गुमराह तो नहीं करते
बस यूं ही लिखते है
bahut khoob. badhai
आदरणीय हरीश जी,
अपनी ही दुनिया में रमे रहने के भाव लिए आपकी इस कविता ने बहुत प्रभावित किया| बधाई!
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