जिंदगी के सफर में हजारों- लाखों मुसाफिर मिलते है. इन मुसाफिरों में ही आपके दोस्त छिपे होते है. इनमें से जिनकी बातें आपको प्रभावित करती है या आपकी बातें जिनको प्रभावित करती है, वह आपके दोस्त बन जाते है. बाकी फिर वैसे ही छूट जाते है अजनबियों की तरह. यहां पर गौर करने की बात है कि आपके दोस्त भले ही अजनबियों की तरह हजारों-लाखों की भीड़ में छिपे होते है, पर आपका दुश्मन आपके दोस्तों में ही छिपा हुआ होता है. बस जरूरत होती है उसको पहचानने की. अनजाने लोग आपके दोस्त तो हो सकते है, पर आपके दुश्मन नहीं.…
ContinueAdded by Harish Bhatt on May 5, 2013 at 8:44pm — 9 Comments
मैं यह तो नहीं सकता कि मुझे सब कुछ आता है, पर यह बात मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं कि मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है. फिलहाल तो इतना ही सीख पाया हूं कि एक अदद नौकरी ठीकठाक चल सके. लेकिन इसमें भी एक पेंच है कि अगर काम अच्छे से नहीं किया तो समझो वह भी हाथ से गई. रोजमर्रा की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में लगा रहता हूं, जब कभी कहीं पर परीक्षा देने की बारी आती है तो हाथ पांव फूलने लगते है. न जाने क्यों परीक्षा के नाम से बचपन से ही डर लगता था, यह अलग बात है कि मैं परीक्षा में खरा ही उतरता…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 28, 2013 at 1:22am — 3 Comments
जिंदगी में सफलता पाने के लिए जरूरी है, सबसे पहले उसको ढूंढा जाए. जो आपके और आपकी सफलता के बीच में बाधक बना हुआ है. संभव है कि वह आपके पास नहीं तो बहुत दूर भी नहीं होता है. हम जिनको अपना कहते है कि उनको हमारी सफलता पर गर्व होता है. इसलिए वह चार से ज्यादा नहीं हो सकते. क्योंकि किसी भी परिस्थिति में हम अपने दाएं-बाएं और आगे-पीछे वालों के ही नजदीक होते है. हम हमेशा उन चारों के सुरक्षा घेरे में स्वयं को सुरक्षित महसूस करते है. इन चारों की वजह से ही हम अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब होते है.…
ContinueAdded by Harish Bhatt on August 25, 2012 at 2:30am — 1 Comment
2012 में 15 अगस्त को भारतवासी अपनी आजादी के 66वें वर्ष में प्रवेश का जश्न मना रहे है, वही साथ ही उनके मन में यह प्रश्न भी कौंध रहा है कि इस प्रकार आधी-अधूरी आजादी के क्या मतलब। जबकि सच यह है कि आजादी आधी-अधूरी नहीं, बल्कि पूरी है। लेकिन जब मानसिकता ही गुलामी वाली हो तो कोई क्या कर सकता है। गुलामों को अगर शारीरिक तौर पर आजाद भी कर दिया जाए, तो भी वह जी-हुजूरी में इतने मग्न होते है कि उनको समझाना ही असंभव है कि वह आजाद हो गए है। अगर हम पूरी तरह से आजाद न होते तो क्या दिल्ली में लाखों लोग…
ContinueAdded by Harish Bhatt on August 15, 2012 at 2:30pm — 4 Comments
जिंदगी! एक अनबुझ पहेली है. जिसको आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है. यह एक ऐसी पहेली है, जिसको जितना सुलझाओ, उतना ही उलझ जाती है. जिंदगी सुख-दुख के दायरे में सिमटी खुशियों के साथ शुरू होती है, लेकिन इसका अंत दुख और निराशा के साथ होता है. हंसते-मुस्कराते कोई नवजात जैसे-जैसे जिंदगी के रास्तों पर आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे वह जिंदगी की उलझनों में उलझता जाता है. अपनी पहली करवट से ही उसको अहसास हो जाता है कि खुद मेहनत करने से ही खुशियां हासिल हो सकती है. इसलिए वह हर पल आगे बढऩे की कोशिश में लग जाता है.…
ContinueAdded by Harish Bhatt on July 26, 2012 at 6:39pm — 5 Comments
नहीं करते बात
आसमां छूने की
वो तो है सितारों का
जमीं पर रच देंगे इतिहास
क्योंकि जमीं है हमारी
अभी तो शुरू हुआ है
सफर हमारा
और भी है मुकाम
मिलकर चलेंगे
साथ सफर पर
क्योंकि
मंजिले करती है
इंतजार हमारा.
भरोसा है अपने पर
मिलेगा साथ आपका ..
Added by Harish Bhatt on July 12, 2012 at 2:00pm — 6 Comments
हे भगवान, यह प्यार भी क्या चीज है. कुछ अच्छा नहीं लगता है. न जाने क्या हो जाता है. रातों की नींद और दिन का चैन गायब सा हो जाता है. अक्ल भी बहुत होती है, फिल्में भी बहुत देखी जाती है. प्यार करने वाले कभी डरते नही. प्यार कुर्बानी मांगता है. वह देने को तैयार हो जाते है. अपने घर-परिवार की. आखिर घर वालों ने क्या ही किया है और जो भी किया है वह तो उनका फर्ज था, जो उन्होंने पूरा किया. सबसे अहम बात यह है कि सच्चा प्यार जिंदगी में सिर्फ एक बार ही मिलता है, फिर जब सच्चा प्यार मिल रहा है तो…
ContinueAdded by Harish Bhatt on July 9, 2012 at 2:00am — 11 Comments
हर इंसान की अपनी एक छोटी सी दुनिया है। जिसमें वह अपनी हैसियत के मुताबिक रहता है। एक खुशी की तलाश में वह यहां-वहां भटक रहा है। खुशी भी क्या, बस वह जी-तोड मेहनत के बाद मालूम चलता है कि आज यह कमी है, कल को इसका पूरा करना है। अगले दिन कोई और ही दुख सामने खड़ा दिखाई देता है। सिर्फ कहने भर की बातें होती है हम तुम्हारे साथ है, हम सब एक है। सच्चाई यह है कि कोई किसी के साथ नहीं है यहां तक कि वह भी जो उसके अपने होते है, जिनके साथ वह बचपन से खेलता-कूदता हुआ बड़ा हो जाता है। वह भी अपनी-अपनी छोटी दुनिया…
ContinueAdded by Harish Bhatt on July 5, 2012 at 10:45am — 4 Comments
न जाने क्यों अकड़ते है लोग
जब मालूम होता है सभी को
जाना है एक दिन इस जहां से
प्यार से जीने में क्या जाता है
अकड़ से क्या मिल जाता है
इतने अनजान भी नहीं लोग
बचपन में ही जान जाते है
प्यार से मिलता है प्यार
अकड़ से मिलती है डांट
तब भी न जाने कहां से
जुबान में आ जाती है खटास
इतिहास की बात करता नहीं
खुद देखा है मैंने
कल तक जिन्हें अकड़ते हुए
रूखसत हो गए जहां से
अब वो रहते प्यार से
करते रहते…
ContinueAdded by Harish Bhatt on June 28, 2012 at 1:53pm — 2 Comments
मैं जानता हूं
आप कुछ नहीं कर सकेंगे
पढ़ कर, सोचेंगे थोड़ा
या हो सकता है
बिल्कुल भी नहीं देंगे ध्यान
सही भी है
आपकी भी अपनी हैं परेशानियां
ऐसे में मेरे लिए कहां होगा समय
लेकिन फिर भी बताता हूं आपको
अपने मन की बात
बहुत परेशान करती है
छोटी-छोटी बातें
हो कोई बड़ी समस्या
तो की जा सकती है तैयारियां
मांगी जा सकती है मदद
लेकिन क्या करूं
जब समस्याएं हो छोटी-छोटी और
फैला दूं हाथ - मांगू मदद
तब लगता है
आखिर अब मैंने क्या…
Added by Harish Bhatt on June 25, 2012 at 2:42pm — 9 Comments
यह क्या
ऐसा तो न सोचा था
यह तो धोखा हो गया
बच्चा समझ के बहलाया नानी ने
दूर एक ग्रह को बनाया था मामा
रोज रात में बताती थी मुझे
देखो आसमां में जो चमक रहा है
वह हैं सबका प्यारा चंदामामा
धीरे-धीरे अक्ल आने लगी
नानी का झूठ समझ आने लगा
क्यों बोला झूठ उन्होंने
बच्चा जान बहलाया मुझे
लेकिन कहते है
प्यार में होता है सब जायज
यह बात भी समझ आती है
जब बचाना होता है गृह अपना
तब लेता हूं झूठ का सहारा
और कहता हूं अपनी…
Added by Harish Bhatt on April 4, 2012 at 2:52am — 2 Comments
Added by Harish Bhatt on March 28, 2012 at 12:48pm — 6 Comments
ये कहाँ आ गए हम
यूँ साथ चलते-चलते….
कभी मरते थे
एक-दूजे पर
आज मार रहे
एक-दूजे को
कभी कहते थे
हिन्दू- मुस्लिम- सिख- ईसाई
आपस में है भाई-भाई
कैसे बदलती है सोच
यह भी देख रहे
गैरों से लड़ते-लड़ते
अपनों से लड़ बैठे
शान्ति की तलाश में
अमन को खो…
Added by Harish Bhatt on March 25, 2012 at 12:02pm — 2 Comments
तेरी खामोशी
ये कहां ले आई मुझे
तेरी एक
हां के इंतजार में
बदल गए
रास्ते जिंदगी के
जाना था कहां
पहुंच गए यहां
तेरी राह
देखते-देखते
इरादे पस्त हो गए
अब तो यह आलम है
दिल रोता है
शब्द निकलते है
दुनिया हंसती है
और
कहती है…
Added by Harish Bhatt on March 23, 2012 at 11:50am — 5 Comments
दुनिया बहुत मतलबी है
एक दोस्त की तलाश में
कदम-कदम पर खाया है धोखा
गिर-गिर कर संभला हूं
कैसे करूं यकीन अब तुझ पर
अब तो खुद से ही लगता है डर
कही मैं भी तो मतलबी नहीं
सोचता हूं जब एकांत में
समझ आता है कुछ-कुछ
मैं भी हूं मतलबी
क्योंकि मतलबी दुनिया में
मैं कोई खुदा तो नहीं
आखिर…
Added by Harish Bhatt on March 22, 2012 at 2:04pm — 5 Comments
मेरी चाहत जवां होती है
तेरी हां के इंतजार में
तेरा आना, तेरा जाना
कर देता है बेकरार
मेरी चाहत जवां होती है
तेरी हां के इंतजार में
दिन पर दिन
रात दर रात
गुजरती जा रही
आंखों से नींद
दिल से चैन
गायब हो जाते रहे
अब तो हाल यह है कि
मेरी चाहत भी
मुर्दा होती…
Added by Harish Bhatt on March 20, 2012 at 11:31am — 3 Comments
छलक जाते है आंसू
मेरी आंखों से
जब देखता हूं तुमको
बंद आंखों से
दिल होता है बैचेन
जब सोचता हूं
तुम्हारे बारे में
काश!
न देखा होता तुमको
न जाना होता तुमको
न आते दिल के करीब
न होता प्यार तुमसे
न होते जुदा हम
तब होती
एक ही बात
तुम भी रहती…
Added by Harish Bhatt on March 15, 2012 at 1:56am — 3 Comments
सोचा था
तेरी याद के सहारे
जिंदगी बीता लूंगा
अब न तेरी याद आती है
न ही जिंदगी के दिन ही बचे
जो बचे भी उनमें क्या तेरे मेरे
क्या सुबह, क्या शाम
बस एक ही तमन्ना है
जहां भी रहो मुझे याद करना
क्योंकि तुम याद करोगे तो
दुनिया से जाते वक्त गम न होगा
क्योंकि तुम, तुम हो और हम, हम
राहें जुदा हो गई तो क्या
कभी मिलकर चले थे मंजिल की ओर
अब तो सोच कर भी सोचता हूं
क्यों मिले थे हम और क्यों बिछड़े
सोचता हूं
तेरी याद को ही…
Added by Harish Bhatt on March 12, 2012 at 2:49am — 6 Comments
कौन कहता है जन्नत इसे,
हम से पूछो जो घर में फंसे।
न हिफाजत, न इज्जत मिली,
कर- कर कुर्बानी हम मर गए।
दुश्मनों की जरूरत किसे,
जुल्म अपनों ने ही हम पे किए।
हमने हर शै संवारी मगर,
खुद हम बदरंग होते गए।
अपने हाथों बनाया जिन्हें,
हाथ उनके ही हम पर उठे।
घर के अंदर भी गर मिटना है,
तो संभालों ये घर, हम…
Added by Harish Bhatt on March 10, 2012 at 1:44pm — 5 Comments
एक बात समझ में नहीं आती है कि जब हमारी हैसियत नहीं होती तो क्यों दूसरे परिवार की प्यारी सी बिटिया को अपने घर में बहू बनाकर लाते है. क्या हम इतने निकम्मे, लूले-लंगडे हो गए है कि बेटे व परिवार की सुख-सुविधा की वस्तुओं को एकत्र करने की नियत के साथ दूसरे से धन ऐंठने के लिए उनकी प्यारी सी बिटिया को विवाह मंडप में अग्नि के सात फेरों के बाद अपने घर ले आते है. फिर उस परिवार की मजबूरी बन जाता है कि वह अपनी बिटिया की खुशी के लिए वह सब कुछ करे, जो हम चाहते है. क्योंकि हम तो पहले से ही इतने कंगाल हैं,…
ContinueAdded by Harish Bhatt on March 8, 2012 at 12:04pm — 3 Comments
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