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हरीश जी, पंख निकल आयें तो चीटियाँ भी आसमान में उड़ने की ख्वाहिशें पाल लेती हैं.मगर हश्र सबने देखा है. सुन्दर रचना बधाई.
आदरणीय प्रदीप जी और महिमा जी कविता पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
aadrniya harish ji vastav mai sundar kriti, anand aa gaya.badhai.
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