For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसका किसका हिसाब बाक़ी है

किसका किसका हिसाब बाक़ी है,
जाने क्या क्या अज़ाब बाक़ी है......

नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,
हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....

दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं,
तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....

सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो,
तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....

मेरे गुनाहों की फ़ेहरिस्त ज़रा लम्बी है,
खुदा सुना चुका सज़ा भगवान अभी बाक़ी है.....

याद से ले लो तुम्हारा जो कुछ निकलता हो,
फिर न कहना कि हमारा हिसाब बाक़ी है.....

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

Views: 681

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 3:36pm

सरिता जी ये रचना बहुत अच्छी लगी ! बधाई हो !!

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 12:55pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, नमस्कार, आपका बहुत धन्यवाद... मैं कोशिश करूँगी  ...


Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 12:50pm

आदरणीय कुशवाहा जी, नमस्कार,

ये नज़्म काफी पुरानी है, इस पर मेरा बड़ा मजाक बन चुका है...सब से मज़ेदार बात तो मेरे पतिदेव ने कही....
वो कहते हैं कि"कर दी न लाला वाली बात, हिसाब करने पहुँच  गयी..."
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 14, 2012 at 10:34pm

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

kya baat hai. lekha shashtr bhi padhne lagin. kuch hisaab aese hote hain jo kabhi chukaye nahi ja sakte. badhai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 2:25am

भवनाप्रधान उद्बोधन है, किन्तु ऐसे उद्बोधनों के लिये साधन को साध कर समर्थवान करना भी आवश्यक है. आपके कथ्य और प्रस्तुत अभिव्यक्ति की कहन आशान्वित करती हैं.  सरिता जी, इस ड्यौढ़ी पर आप सहर्ष आयी हैं तो पूर्व प्रविष्टियों के प्रकार उनकी गठन की भी सुनें.

रचना प्रस्तुतिकरण हेतु बधाई.

Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 11:09pm


जवाहर भाई, नमस्कार, 

जब मैं ने ये नज़्म लिखी तो बाद में मुझे एक पुरानी फिल्म  की याद आई, जिस में अरुणा ईरानी हर बात पे कहती थी "........बाकी है....."
मुझे लगा कहीं आप लोग मजाक न बनाएं, लेकिन अच्छा हुआ किसी को याद नही आया...
Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 11:06pm

सतीश जी, धन्यवाद...

Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 10:14pm

प्रिय महिमा जी नमस्कार, 

नज़्म पसंद करने का शुक्रिया...
Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 10:12pm

राजीव जी नमस्कार,

आप को नज़्म पसंद आयी , इस के लिए शुक्रिया..
Comment by Sarita Sinha on April 13, 2012 at 10:10pm

भ्रमर जी, नमस्कार, 

नज़्म पसंद करने का शुक्रिया....
वैसे इस में सारे शब्द बहुत कॉमन से थे इस लिए मैं ने अलग से अर्थ नही लिखा...आगे से ध्यान रखूं गी....अज़ाब  का अर्थ होता है अभिशाप...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service