For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसका किसका हिसाब बाक़ी है

किसका किसका हिसाब बाक़ी है,
जाने क्या क्या अज़ाब बाक़ी है......

नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,
हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....

दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं,
तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....

सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो,
तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....

मेरे गुनाहों की फ़ेहरिस्त ज़रा लम्बी है,
खुदा सुना चुका सज़ा भगवान अभी बाक़ी है.....

याद से ले लो तुम्हारा जो कुछ निकलता हो,
फिर न कहना कि हमारा हिसाब बाक़ी है.....

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

Views: 672

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 2:07pm

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

सरिता जी सुन्दर गजल ...सच में उससे बड़े हिसाब बाकी हैं ...काश ये हम सब को याद रहे ..हम हिंदी वाले भी हैं कुछ उर्दू लफ्ज समझा दिया कीजिये 

अजाब ?
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 


Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 12, 2012 at 3:47pm

बहुत सुन्दर गजल,सरिता जी.

दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं, तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....

सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो, तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.

Comment by MAHIMA SHREE on April 12, 2012 at 1:52pm
फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

वाह वाह .... Really you stole the show .. :)
बहुत -२ बधाई आपको..
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 12, 2012 at 5:59am

याद से ले लो तुम्हारा जो कुछ निकलता हो,
फिर न कहना कि हमारा हिसाब बाक़ी है.....

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

बहुत ही लाजवाब!
आदरणीय सरिता बहन, नमस्कार!
मै तो कहूँगा ये  तो धुआं निकल रहा है
आग अभी बाकी है!
Comment by satish mapatpuri on April 12, 2012 at 12:49am

नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,

हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....

बहुत खूब.................  बधाई सरिता जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service