For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये कौन सा मोड़ है जीवन का

ये कौन सा मोड़ है जीवन का 

जहा सिर्फ अंतर्द्वंद है 

यक़ीनन मै जनता हूँ 

हर उस  रास्ते को

जो मेरे चौराहे से गुजरता है 

परन्तु फिर भी मै अविचल हूँ 

यकीन मानो , मै चलना चाहता हूँ 

सिर्फ चलना, बिना रुके , बिना थके 

फिर भी मै अविचल हूँ 

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 10:39pm

bahut sundar bhav ki rachna. badhai.

Comment by arunendra mishra on April 15, 2012 at 11:59pm

सरिता ma'am धन्यवाद् ... मुझे लगा कि मने  obo के स्तर की कविता नहीं लिखी ..परन्तु आप सब का स्नेहवर्धन देख कर अच्छा लगा ..पुनह धन्यवाद् 



Comment by arunendra mishra on April 15, 2012 at 11:56pm

श्री बागी जी .. नमस्कार ....उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद् ..


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2012 at 5:35pm

खुबसूरत अभिव्यक्ति अरुणेन्द्र जी , बधाई |

Comment by Sarita Sinha on April 15, 2012 at 2:32pm

अरुणेन्द्र जी, नमस्कार, 

आपने लिखा है कि "यक़ीनन मै जनता हूँ 

हर उस  रास्ते को

जो मेरे चौराहे से गुजरता है"

आप ने स्कूल के ज़माने में यह कविता लिखी लेकिन इस की सार्थकता को आप ने सफल हो कर आज सिद्ध कर दिया ...बधाई....... 

Comment by Abhinav Arun on April 14, 2012 at 12:51pm

jeevan चलने का नाम ... इस अभिव्यक्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं !!

Comment by राज लाली बटाला on April 14, 2012 at 2:37am

 मै चलाना चाहता हूँ !! आपका कहना है !!   मै  चलना चाहता हूँ !!! अच्छी रही लघु  कविता


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 2:19am

अच्छी अभिव्यक्ति, सुधार हेतु सतत प्रयास बना रहे  .. .

Comment by arunendra mishra on April 14, 2012 at 12:37am

शैलेन्द्र जी , धन्यवाद् ...  यह अभिव्यक्ति मेरी स्कूल के समय  की है , जब मै करियर को ले कर कोई संतुष्ट विचार नहीं रखता था ...



Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 13, 2012 at 8:55pm

ये कौन सा मोड़ है जीवन का 

जहा सिर्फ अंतर्द्वंद है     खूबसूरत अभिव्यक्ति के लिए  बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service