For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभिव्यक्ति - आखिरी वक़्त मुझे माँ ने दुआ दी होगी !

अभिव्यक्ति - आखिरी  वक़्त मुझे माँ ने  दुआ दी होगी !

 

चमक लिबास में जो शख्स आम लगता है ,

उसी के छदम इरादों से जाम लगता है |

 

मैं हूँ  खादी जिसे इस मुल्क ने पूजा था कभी ,

आज गाली की तरह मेरा नाम लगता है |

 

त्याग बलिदान समर्पण का कभी थी ज़रिया ,

अब सियासत में घोटालों का झाम लगता है |

 

ऐसा विद्रूप तेरा चेहरा सियासत क्यों है ,

क्यों सभी दूर से करते प्रणाम लगता है |

 

एक बाज़ार की तरह ही तो संसद है जहां ,

कितना अफ़सोस कि सांसद का दाम लगता है |

 

ये व्यवस्था अगर सच से यूँ ही घबराती रही ,

शायरों के भी सर होगा ईनाम लगता है |

 

उंगलियाँ जब भी उठाता यहाँ अन्ना कोई ,

क्यों कहा जाता कि संघ का ये काम लगता है |

 

सच तेरी जाति नहीं धर्म नहीं भाषा नहीं ,

तू ही मुझको रहीम और राम लगता है |

 

आखिरी  वक़्त मुझे माँ ने  दुआ दी होगी ,

उसी से बा असर मेरा कलाम लगता है |

 

               - अभिनव अरुण [15042012]

[ आत्मकथ्य :- साथियो !  लिखा ग़ज़ल सोच  कर ही है ; पर जानता हूँ यह उस्तादों की कसौटी पर शायद ही खरी उतरे | सो पहले खेद व्यक्त करता हूँ | इसे एक  कविता की तरह ही परखें - पढ़े - साहित्यिक  आनंद लें यही चाह है , बस | ]

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on April 24, 2013 at 10:00am

आभार आशीष जी !!

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 23, 2013 at 10:53am

बहुत खूब

Comment by Abhinav Arun on May 16, 2012 at 1:17pm

दिल गद गद हो गया आदरणीय श्री संपादक महोद्दय आपकी विस्तृत - शेर दर शेर टिप्पणी बहुत बहुत उत्साहित करने वाली है | हार्दिक आभार आपका - ओ बी ओ का स्नेह मिलता रहे कलम काम करती रहेगी  |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 16, 2012 at 12:10pm

//चमक लिबास में जो शख्स आम लगता है ,
उसी के छदम इरादों से जाम लगता है | // वाह वाह वाह अरुण भी जी क्या ज़ोरदार मतला कहा है.

//मैं हूँ खादी जिसे इस मुल्क ने पूजा था कभी ,
आज गाली की तरह मेरा नाम लगता है | // क्या कहने हैं, खादी जो कभी सच्चाई और इमानदारी की नुमायन्दगी किया करती थी आज वाकई एक बदनामी का पर्याय हो कर रह गई है. बेहद खूबसूरत शेअर. 

//त्याग बलिदान समर्पण का कभी थी ज़रिया ,
अब सियासत में घोटालों का झाम लगता है | // बहुत खूब - उम्दा शेअर. 

//ऐसा विद्रूप तेरा चेहरा सियासत क्यों है ,
क्यों सभी दूर से करते प्रणाम लगता है | // वाह . 

//एक बाज़ार की तरह ही तो संसद है जहां ,
कितना अफ़सोस कि सांसद का दाम लगता है | // बात कडवी ज़रूर है, मगर खरे सोए सी है - वाह  

//ये व्यवस्था अगर सच से यूँ ही घबराती रही ,
शायरों के भी सर होगा ईनाम लगता है | // बहुत खूब.  

//उंगलियाँ जब भी उठाता यहाँ अन्ना कोई ,
क्यों कहा जाता कि संघ का ये काम लगता है | // हर घोटाले में कांगेस का हाथ और हर जन संघर्ष में संघ का हाथ - सरे हिदुस्तान की यही कहानी. बहुत सुन्दर शेअर है यह भी.  

//सच तेरी जाति नहीं धर्म नहीं भाषा नहीं ,
तू ही मुझको रहीम और राम लगता है | // अय हय हय हय !!! बेहतरीन ख्याल. 

//आखिरी वक़्त मुझे माँ ने दुआ दी होगी ,
उसी से बा असर मेरा कलाम लगता है |// अंतिम शेअर भी बाकमाल कहा है. माँ की पवित्र दुयायों से अपने कलाम को बा-मायने होते देखने का ख्याल बहुत अच्छा लगा. इस सुन्दर कलम पर मेरी बधाई स्वीकार करें अरुण भी जी.

Comment by Abhinav Arun on April 23, 2012 at 12:24pm

आदरणीय श्री PRADEEP KUMAR SINGH कुशवाहा जी हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ आपके इन शब्दों के लिए !!

Comment by Abhinav Arun on April 23, 2012 at 12:24pm

आपकी टिप्पणी भी सोने सी खरी है उत्साहवर्धक !! आदरणीय राकेश जी एक लिखने वाले को और क्या चाहिए !! आभार !!

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 21, 2012 at 11:19am

Bahut anand aaya, ek ek sher sone se khare. bahut bahut badhai.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 11:06pm

adrniya mahodaya ji, sadar abhivadan

aap likhte rahen ham padhte rahenge. baki ka kaam upar vale par chod den. badhai.

Comment by Abhinav Arun on April 18, 2012 at 12:18pm

आदरणीय श्री आशीष जी हार्दिक आभार आपका !!

Comment by Abhinav Arun on April 18, 2012 at 12:16pm

आदरणीय श्री संदीप जी आपका स्नेह बना रहे | जागरण में तो आपका गीत भी था और बेहद दमदार भी | .. पर खैर जिसका भी हुआ उसे हम सबकी बधाई है | हार्दिक आभार इस रचना की सराहना हेतु !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service