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आदरणीय संदीप जी नमस्कार ,
हमेशा की तरह आपके विचार और उत्साहवर्धक शब्द अपेक्षित थे , आपने सराहा , आपका धन्यवाद , आभारी हूँ \
आदरणीय अभिनव जी ,
नमस्कार , आपकी आभारी हूँ ,सराहना के लिए धन्यवाद
महिमा जी,
सहज सरल शब्दों में आपने समाज की विद्रूपता का सटीक चित्रण किया है और इसके लिए आप निश्चय ही बधाई के योग्य हैं| :-)
प्रिय महिमा जी, नमस्कार,
yahi ho raha hai aajkal jab insaan andar se toot jata hai vo koi aur upaay sochne ki bajaay sharaab ke theke ki taraf mud jaata hai is tarah gareeb jeevan me kabhi chain nahi pata.
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