For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुमनाम है
बड़ा बदनाम है
हाँ गुलाम है.
....................
रिश्ते नाते हैं
बड़ा ही रुलाते हैं.
टूट जाते हैं.
..................
वृक्ष रोते हैं
जनता हंसती है,
कैसी बस्ती है.
.......................
सुखा कंठ है,
मनवा उदास है,
कैसी प्यास है.
.......................
 तू ही जीत है
तुझसे ही प्रीत है,
तू ही मीत है.
.....................
 भ्रष्टाचार है,
ठोस जनाधार है,
 सरकार है.
.....................

यह मेरा हाइकु लिखने का छोटा सा प्रयास है कृपया सुधिजन त्रुटियों पर मार्गदर्शन दें.प्रसन्नता होगी.

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on April 10, 2017 at 8:37pm
आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब, हाइकु लेखन का आपका सफल प्रयास है । सभी हाइकु अपने आप में बेजोड़-बेमिसाल है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 10, 2017 at 8:05pm
मैं यहाँ केवल रचनाएँ पढ़ने के लिए उपस्थित हुआ था। लेकिन बेहतरीन बहुआयामी भावपूर्ण कथ्य व शिल्पबद्ध हाइकू रचनाओं ने लोग-इन करने को विवश कर दिया। मुझे विशेष रूप से 1, 2, 3 व 6 बहुत पसंद आये हैं। लगता नहीं है कि यह पहला प्रयास है ! हमें आपसे सीखने को ही मिला व मिलेगा। सादर हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले साहब।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 10, 2017 at 8:02pm
हाइकू ही हैं
कथ्य शिल्पबद्ध हैं
धारदार हैं।

/तू ही जीत है..../वाले हाइकू को बेहतरीन आप बना सकते हैं। सादर
Comment by RAMESH SHARMA on April 10, 2017 at 4:34pm

बहुत सुंदर हाइकु आदरणीय 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 6:22pm

आदरणीय बाली जी
                  नमस्कार, आपकी सराहना ही मेरे लिए प्रेरणा है. आभार

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 4:56pm

अशोक भाई आपका  हाइकु लिखने का छोटा सा प्रयास है लेकिन मुझ जैसे पाठकों के लिए बहुत बड़ा उपहार  है। ऐसे ही आप लिखते रहें !बहुत सुंदर !

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 7, 2012 at 7:30am

भ्रमर जी
        सादर, आपकी शुभकामनाएं अवश्य ही प्रेरणा देंगी.धन्यवाद.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 6, 2012 at 10:14pm

वृक्ष रोते हैं
जनता हंसती है,
कैसी बस्ती है.
.......................

भ्रष्टाचार है,
ठोस जनाधार है,
 सरकार है.

प्रिय अशोक जी हरी ओउम बहुत सुन्दर सन्देश ...अच्छे हाइकू.. म्हणत और रंग लाएगी --भ्रमर ५ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2012 at 9:06pm

गौरव जी,
                 सादर, आपके मेल पर जानकारी मै दे ही चुका हूँ. आप अवश्य प्रयास करें मुझे भी प्रसन्नता होगी. धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 6, 2012 at 9:04pm

आदरणीय अविनाश जी,
सादर, आपकी सराहना से प्रसन्नता हुई. धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
55 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service