For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता - बहती सी गंगा

 कविता - बहती सी गंगा  
 
 
हमने एक नदी को बाँधा
और अब करते हैं
रेत की पुजैय्या
किनारे रुकी नाव की लाश पर !
 
हमने एक बहती नदी को नाला बनाया
उसमें शहर भर के अपशिष्ट डाले
और अब हर शाम अँधेरे में उस काले नाले की आरती उतार
विदेशी अतिथियों की राह तकते है !
 
हमने किताबों में नदी की महत्ता बताई
रामायण और महाभारत से गंगा के किस्से बच्चों को सुनाये
और अब उन बच्चों को
स्वीमिंग पूल में तैरना सिखा कर
ओलम्पिक गोल्ड मेडल पाने की हसरत संजो रहे हैं
सच मुच हम अपनी इच्छाएं विकास के गाल में डुबो रहे हैं !
 
हम दूर देश से टूर पर आये साइबेरिआइ पक्षी
इस   बार पहले सी गंगा को न पाकर दुखी हैं
मगर  ये  प्रण  है अगली  बार हम ओल्गा  से भर भर चोंच  लायेंगे  जल
और भर देंगे  पहले सी पावन  पवित्र   बहती सी गंगा   !!
 
                              - अभिनव  अरुण  
                                  [15052012]
 

Views: 1508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on May 16, 2012 at 11:23am

हार्दिक आभार आदरणीया राजेश जी रचना आपने पसंद की !

Comment by Bhawesh Rajpal on May 16, 2012 at 9:22am

अभिनव जी  यथार्थ चित्रण के लिए बधाई  !  -भवेश  राजपाल  !

Comment by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 12:11am

अभिनव जी ,अति सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 15, 2012 at 11:18pm

और अब उन बच्चों को

स्वीमिंग पूल में तैरना सिखा कर
ओलम्पिक गोल्ड मेडल पाने की हसरत संजो रहे हैं
सच मुच हम अपनी इच्छाएं विकास के गाल में डुबो रहे हैं !..
अभिनव जी सुंदर सन्देश...है तो ऐसा ही ...काश कुछ ध्यान दिया जाए कुछ सुधरे ..जय श्री राधे 
भ्रमर५ 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 15, 2012 at 8:41pm

 अभिनव जी सच में विकास के नाम पर हम अपनी प्रक्रति से ही कट गए हैं न वो गंगा है अब न वो निर्मल नदियाँ इंसान नि उनको कहीं का नहीं छोड़ा क्या दिखाएँगे हम अगली पीढ़ी को ...बहुत सुन्दर सन्देश परक रचना ..बधा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service