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चश्मे  तो हमने राह में पाये हैं बेशुमार

तेरी ही तिश्नगी में  आये हैं बार- बार

  

 प्यार से बिठाया  और खुशियाँ लूट ली 

 धोखे यूँ जिंदगी में खाये हैं कई हजार

  

 सीमाएं मेरे दर्द की   वो नाप के गए 

 अश्क जब काँधे पे बहाये हैं ज़ार-ज़ार

 

 बता गमजदा दिल अब  कैसे ढकें बदन 

 खुशियों के पैरहन कर लाये हैं तार-तार

 

 वादियों में  बुलबुलें अब चहकती नहीं  

  जब दर्द के  गुबार ने तडपाये हैं  चिनार 

 कैसे सुकून पाये 'राज'  इस जहान में   
 नफरतों की आग ने सुखाये हैं आबशार

*******.

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Comment by राज़ नवादवी on June 27, 2012 at 9:24am

'चश्मे  तो हमने राह में पाये हैं बेशुमार

तेरी ही तिश्नगी में  आये हैं बार- बार

कैसे सुकून पाये 'राज'  इस जहान में   

 नफरतों की आग ने सुखाये हैं आबशार'

बहुत खूब फरमाया है. सुकूं मिला गज़ल पढ़ कर. आप 'राज' नाम से लिखती है, जानकार अच्छा लगा. आपके और मेरे तखल्लुस में बस एक नुक्ते का फेर है. - राज़ 


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Comment by rajesh kumari on June 2, 2012 at 8:44am

अशोक कुमार रकतेला जी  हार्दिक आभार खुश हूँ जानकर की ग़ज़ल आपको पसंद आई 


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Comment by rajesh kumari on June 2, 2012 at 8:43am

डा. सूर्या बाली जी हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 1, 2012 at 9:34pm

राजेश जी
        सादर,
प्यार से बिठाया  और खुशियाँ लूट ली
 धोखे यूँ जिंदगी में खाये हैं कई हजार
 
 सीमाएं मेरे दर्द की   वो नाप के गए
 अश्क जब काँधे पे बहाये हैं ज़ार-ज़ार
 बहुत सुन्दर भाव. हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 29, 2012 at 10:45pm

सुंदर एवं भाव प्रधान रचना के लिए दिली दाद कुबूल करें राजेश कुमारी जी !! बहुत सुंदर !


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Comment by rajesh kumari on May 28, 2012 at 9:04am

उमा शंकर मिश्र जी तहे दिल से शुक्रिया आपकी प्रतिक्रिया से हम बाग़ बाग़ हो गए 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 28, 2012 at 12:12am

प्यार से बिठाया  और खुशियाँ लूट ली 

 धोखे यूँ जिंदगी में खाये हैं कई हजार

  

 सीमाएं मेरे दर्द की   वो नाप के गए 

 अश्क जब काँधे पे बहाये हैं ज़ार-ज़ार

 बेहतरीन,लाजवाब ,तारीफे काबिल बहुत अच्छा लगा दिल तार तार  हो गए


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Comment by rajesh kumari on May 27, 2012 at 5:31pm

प्रिय महिमा श्री जी हार्दिक आभार आपकी सुखद टिपण्णी हेतु 


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Comment by rajesh kumari on May 27, 2012 at 5:30pm

तहे  दिल से शुक्रिया सुरेन्द्र  कुमार भ्रमर जी 


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Comment by rajesh kumari on May 27, 2012 at 5:29pm

डा .सूर्या बाली जी तहे दिल से शुक्रिया 

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