For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जैसे ही मैंने दरवाजा खोला 
भारत माँ व्यथित खड़ी थी 
बेगैरत जुलूस निकल रहे थे 
संस्कृति जमीन में गडी थी 
झूठ के महल दमक रहे थे 
सच्चाई झोंपड़ी में पड़ी थी 
अमीरी के झरने बह रहे थे 
गरीबी तुच्छ पंक में सड़ी थी 
भ्रष्टाचारी अट्टाहस कर रहे थे 
नेक नयन में अश्रु की झड़ी थी 
वृक्ष और पर्वत कट रहे थे 
पर्यावरण में खूब हड़बड़ी थी 
तपिश से हिम नद पिघल रहे थे 
सुनामी तबाही पे अड़ी थी 
देखकर स्नायु तंत्रिकाओं ने द्वन्द किया 

क्षण भर को गरल अखंड पिया 
और मैंने दरवाजा बंद किया |

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 2, 2012 at 7:39am

राजेश जी
         सादर,
क्षण भर को गरल अखंड पिया
और मैंने दरवाजा बंद किया |
हकीकत को बयान कराती सुन्दर रचना, आपने दरवाजा बंद किया ये तो ठीक है किन्तु उनको क्या कहें जिन्हें यूँ दरवाजे बंद होने से रोकने का कार्य सौंपा है? बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 1, 2012 at 8:24am

प्रिय महिमा श्री बहुत बहुत हार्दिक आभारी हूँ मेरी कविता के मर्म तक पहुँचने के लिए 

Comment by MAHIMA SHREE on May 31, 2012 at 10:24pm

आदरणीया राजेश दी , नमस्कार आपकी इस रचना ने मुझे चकित भी किया और भीतर जाकर कही अटक सा गया .. वाकई में ऐसा ही तो सभी कर रहे है ... सच्चाई से रूबरू कराती रचना के लिए बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 5:29pm

योगी सारस्वत जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Yogi Saraswat on May 31, 2012 at 5:13pm

क्षण भर को गरल अखंड पिया 
और मैंने दरवाजा बंद किया |

कभी कभी ऐसे हालातों में यही करना मुनासिब होता है ! बेहतरीन रचना , आदरणीय राजेश कुमारी जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 4:54pm

बहुत बहुत आभार संदीप कुमार जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 3:09pm

ऐसे मैं द्वार बंद कर देना ही अच्छा रहा आपका
बहुत खूबसूरती से लिखा आपने
बधाई आपको इस रचना के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 12:17pm

हार्दिक आभार योगराज जी बहुत ख़ुशी होती है अपने उद्देश्य को सार्थक पाकर मेरी लेखनी को बल मिला 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 31, 2012 at 12:11pm

हार्दिक  आभार सौरभ पाण्डेय जी यही तो हो रहा है आजकल सच्चाई से मुंह मोड़कर बैठने का वक़्त नहीं है वक़्त है हालात को सुधारने  का


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 31, 2012 at 12:04pm

कविता अपना सन्देश देने में सफल रही है, अत: मेरी दिली बधाई स्वीकार करें राजेश कुमारी जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service