हैलो हैलो !! हैलो बेटा बोल ! माँ खुशखबरी है आपको पोता हुआ है, इतना कहकर रोहित ने फ़ोन रख दिया | रेखा के पाँव तो ख़ुशी के मारे जमीन पर नहीं पड़ रहे थे, उसी समय बहुत सारी मिठाई लाकर पूरी कालोनी में बाँट दी | फिर तैयार होकर हॉस्पिटल पंहुच गई और सारे कर्मचारियों को मिठाई बांटी, आयाओं को सौ- सौ के नोट भी दिए और फिर बहु के पास पोते को देखने पहुंची वहां पर डॉक्टर भी राउंड पर आई हुई थी देखते ही रेखा एक पूरा मिठाई का डिब्बा डॉक्टर की तरफ देते हुए बोली आप भी मेरे पोते के होने की मिठाई खाओ | डॉक्टर सुनकर कुछ हैरानी से बोली लेकिन आपको तो पोती हुई है, इतना सुनते ही राधा के हाथ से मिठाई का डिब्बा नीचे गिर गया और घूरती नजरों से बेटे को देखने लगी | रोहित बोला माफ़ करना माँ मैं चाहता था की जिस तरह आप पोते की ख़ुशी मनाती हैं उसी तरह पोती की भी मनाओ, आपके बेटे के जीवन में कितनी बड़ी ख़ुशी आई है आप मेरी ख़ुशी में शामिल नहीं होंगी | राधा कुछ देर सोचती रही ,फिर छलछलाती हुई आँखों से पास में लेटी हुई बहुत प्यारी गुडिया जैसी बच्ची को देखा फिर प्यार से उसे उठाती हुई बोली आ ख़ुशी बेटी दादी की गोद में आजा और प्यार से उसका माथा चूम लिया | बहु और रोहित की आँखे ख़ुशी से छलक उठी, डॉक्टर भी सब माजरा समझ कर मुस्कुराती हुई वहां से चली गई |
Comment
haardik aabhar vandana ji.
सौरभ पाण्डेय जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपने कहानी को सराहा ..ये सच है परिवार की समाज की खुशहाली मनुष्यों की वैचारिक सोच पर निर्भर करती है और ये बड़े दुःख की बात है की अधिकतर नारी है नारी की दुश्मन है चाहे वो दहेज़ प्रथा की बात लो या कन्या भ्रूण हत्या .....अगर नारी अपनी बात पर अड़िग हो जाए तो भ्रूण हत्या कम हो जाए ,उसको पूरा अधिकार है अपने आने वाले बच्चे पर क्यूँ फर्क करती है लड़की लड़के में जब दोनों ही उतने ही कष्ट से पैदा होते हैं .....यह बदलाव हर स्त्री में लाना पड़ेगा ...सोच बदलनी पड़ेगी और दहेज़ प्रथा को ख़त्म करना पड़ेगा |
उमा शंकर मिश्र जी हार्दिक धन्य वाद
एक बात, इस दादी को पोती के होने की खुशी का अहसास ’कराना पड़ा’. आज की पुत्रियों/ बेटियों का सबसे बड़ा काल कल की पुत्रियाँ/ बेटियाँ ही अक्सर क्यों होती हैं ? परिवार का परिवार त्रस्त दीखता है. जिस परिवार में दादियाँ, बुआएँ मन और विचारों से समृद्ध होती हैं, वह परिवार खुशहाल होता है. वह समाज निहाल रहता है. आखिर ऐसा हमेशा क्यों नहीं होता है ?
कहानी के इंगित पर आपको सादर बधाई, आदरणीया.
सुन्दर कहानी एक बहुत अच्छा सन्देश बहाती लघु कथा
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
अशोक कुमार रकतेला जी हार्दिक आभार आपने कहानी के तथ्य को समझा
राजेश कुमारी जी
सादर, बहुत बढ़िया भावपूर्ण और कन्या बचाओ के सन्देश को प्रबल करती कहानी पर आपको हार्दिक बधाई.
रेखा जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपका
रेखा हो यां राधा ,कहानी बहुत बढ़िया है ,बेटा हो यां बेटी ,कोई अंतर नही .बस बच्चे खुश रहे ,अच्छी रचना पर बहुत बहुत बधाई |
संदीप कुमार पटेल जी बहुत बहुत शुक्रिया
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