मौज कोई सागर के किनारों से मिली
साँसे अपनी दिल के इशारों से मिली
सोंधी सी महक बारिश का इल्म देती है
गुलशन की खबर ऐसे बहारों से मिली
आंधी ने नोच डाले हैं दरख्तों से पत्ते
जुदाई की भनक आती बयारों से मिली
चाँद खुश है रोशन करेगा बज्मे- जानाँ
आस नभ में चमकते सितारों से मिली
हरेक लब उसे अकेले में गुनगुनायेंगे
ऐसी कोई नज्म संगीतकारों से मिली
पंहुच गई है परदेश में निशा की डोली
खबर भोर में आते हुए कहारों से मिली
चल हम भी जुड़ जाएँ अब इस हुजूम में
ये सनक आसमाँ में गूंजते नारों से मिली
जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत
ये खबर आज ही के अखबारों से मिली
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Comment
योगी सारस्वत जी आपकी इस सुन्दर प्रतिक्रिया से दिल बाग़ बाग़ हो गया हार्दिक आभार
योगेश शिवारे जी हार्दिक आभार
चल हम भी जुड़ जाएँ अब इस हुजूम में
ये सनक आसमाँ में गूंजते नारों से मिली
जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत
ये खबर आज ही के अखबारों से मिली
इतनी सुन्दर ग़ज़ल हमें आपके शाह्कारों में मिली
ये हमारी किस्मत , की आप हमें इस मंच के गुलाबों में मिली
बहुत खूब , आदरणीय राजेश कुमारी जी ! अति सुन्दर ग़ज़ल !
bahut sundar
बहुत बहुत हार्दिक आभार डा. सूर्या बाली जी
राजेश कुमारी जी सादर नमस्कार ! सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई!
रेखा जोशी जी हार्दिक आभार
rajesh ji ,
जनतंत्र गिरा देगा भ्रष्टाचार की ईमारत
ये खबर आज ही के अखबारों से मिली,bahut badhiya ,badhai
चन्दन राय जी तहे दिल से आभार कबूल कीजिये
योगराज जी बहुत बहुत बहुत शुक्रिया
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