For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ वो मेरी बेटी है

हाँ  वो  मेरी   बेटी  है  

जो  बगल  में  लेटी है  

मेरा  प्यार  है  वो  

जीवन  की  बहार  है  वो 

हमारे प्यार की   निशानी 

एक अनकही   कहानी   

खिलखिलाहट   उसकी  

दीवाना  करती  है  

जाएगी  दूजे  घर  

एक  डर  भरती   है  

खिली  इस  बगिया   में 

वो  उपवन  कैसा  होगा  

कली  मासूम  सी 

काँटों  मैं  घिरी  होगी

दूँगी  वो  शिक्षा 

होगी रात तो  

कभी सहर होगी  

दुआ  बाबुल  की  है 

सुखी संसार  होगा 

पति का घर उसका 

सुन्दर उपहार होगा 

इस कुल  उस कुल 

अटूट बंधन होगा 

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

 

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:29pm

धन्यवाद आदरणीय अरुणेन्द्र जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:29pm

धन्यवाद आदरणीय भ्रमर जी, प्रोत्साहन एवं स्नेह हेतु.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:27pm

धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:26pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार , आदरणीय अविनाश जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:24pm

धन्यवाद आदरणीय योगी जी स्नेह हेतु.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:23pm

धन्यवाद भाव को प्रधानता देते हुए सराहा. आदरणीय बाली जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 6:14pm

बेटी बोझ नहीं होती , आपने कीमती समय दे कर मेरा उत्साह बढ़ाया है , आभार आदरणीय उमा शंकर जी 

Comment by UMASHANKER MISHRA on May 30, 2012 at 11:03pm

बेटी के जीवन के बारे में सोचने को मजबूर कर देने वाली रचना

बेटी के भविष्य की सोच पर दिल काँप उठाते हैं क्या होगा कल का

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

                                                                     हाँ  वो  मेरी बेटी  है   यहाँ मन को ठंडक महसूस हुई

बहुत  अच्छी रचना बधाई

Comment by MAHIMA SHREE on May 26, 2012 at 11:07pm
आदरणीय प्रदीप सर , सादर प्रणाम 
प्यार और आशीर्वाद से भरा भावुक अभिवयक्ति ...अनमोल है . जितना भी कहा जाये कम है / ह्रदय उरेल दिया है आपने ..
आपके भावनाओ को नमन /  
Comment by Rekha Joshi on May 26, 2012 at 6:42pm

आदरणीय प्रदीप जी ,बेटी तो घर की ख़ुशबू होती है ,बढ़िया पंक्तियाँ  

प्रेम प्रतिष्ठा से 

मान बढ़ाएगी 

माँ वधू  बेटी बन 

जग  रीति   निभाएगी 

हाँ  वो  मेरी बेटी  है  

 badhai


कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
48 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service