For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐ मन निराश तुम मत होना

ऐ मन निराश तुम मत होना, मंज़िल तुझको मिल जायेगी
अपना न कभी धीरज खोना, फिर तो दुनिया हिल जायेगी।।

चलते रहना, बढ़ते रहना, इस कठिन डगर में रुकना मत
लाखों विपत्ति आ जाय सामने, किसी के आगे झुकना मत।
हौसला कभी भी मत खोना, विपदा आयेगी जायेगी।।
ऐ मन निराश तुम मत होना, मंज़िल तुझको मिल जायेगी।।

उलझनें बहुत सी आयेंगी, कुछ लोग तुम्हे बहकायेंगे
रोकने को तुझको क्षणिक फूल खुश्बू अपनी महकायेंगे।
बढ़ते रहना फिर देखोगे कलियाँ खिलती ही जायेंगी।।
ऐ मन निराश तुम मत होना, मंज़िल तुझको मिल जायेगी।।

बस फूलों की बात नही राहों मे खार भी छिटकेंगे,
रोकेंगे तुम्हे पुरजोर लगा, दामन से तेरे लिपटेंगे।
बस धैर्य तुम्हारा बना रहे सारी पीड़ा मर जायेगी।।
ऐ मन निराश तुम मत होना, मंज़िल तुझको मिल जायेगी।।

जब दुनियाँ छोड़े साथ तुम्हारा तब तुम चलना एक तरफ,
बस राह तुम्हारी सही रहे, फिर चलते रहना बेधड़क।
ईश्वर का साथ मिल जायेगा, जब ये दुनिया ठुकरायेगी।।
ऐ मन निराश तुम मत होना, मंज़िल तुझको मिल जायेगी।।

आशीष यादव

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on July 4, 2012 at 12:55am

आदरणीया shubha singh जी, रचना पसन्द करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद।

Comment by आशीष यादव on June 5, 2012 at 8:19am

आदरणीया  Seema agrawal जी, रचना पसन्द करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद। आगे की रचनाओं पर भी आपका आशीर्वाद चाहूँगा।

Comment by आशीष यादव on June 5, 2012 at 8:17am

आदरणीय श्री Albela Khatri जी, आदरणीय श्री PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA ji,  आदरणीय श्री Ganesh Jee "Bagi" ji आदरणीय श्री SANDEEP KUMAR PATELji evam  आदरणीय श्री  Ashok Kumar Raktale ji, आप लोगों इस रचना को सराहा मै धन्य हो गया। उम्मीद है मेरी अन्य रचनाओं पर भी आप लोगों का आशीर्वाद मिलेगा।
बहुत-बहुत आभार एवँ धन्यवाद

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 3, 2012 at 6:49am

आशीष जी
        निराशा के दायरे से बाहर आने में संबल देती सुन्दर रचना. बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 6:44pm

बेहतरीन गीत के लिए साधुवाद आशीष भाई मजा आ गया पढ़ कर बहुत बहुत बधाई आपको


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 2, 2012 at 6:04pm

आशीष जी , जीवन की सच्चाई और उससे लड़ने की प्रेरणा को प्रदर्शित करती एक खुबसूरत रचना पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 5:01pm

आशीष जी प्रेरणादायक रचना .

वीर तुम बढे चलो धीर तुम बढे चलो , बधाई.

Comment by Albela Khatri on June 1, 2012 at 12:34pm

badhaai bhaaiji,

bahut khoob rachna........saarthak kavita

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
1 minute ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service