कविताओं में बाँचिये , शीतल मंद समीर
शब्दों में ही बह रहा , निर्मल निर्झर नीर
निर्मल निर्झर नीर,हरा वसुधा का आँचल
चंदन जैसी मृदा , गगन इतराता बादल
अमृत-सी जलधार कहाँ अब सरिताओं में
खोया पर्यावरण , ढूँढिये कविताओं में |
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
Comment
bahut saargarvit likha hai sir ji ....................saadar badhai sweekar karen sir ji
मिली बधाई हार्दिक, मित्र उमा आभार
बनी रहेगी मित्रता,बना रहेगा प्यार.
देहरादून से मिला, प्रोत्साहन, आभार !
नेह सदा मिलता रहे,सृजन होय साकार. |
दृष्टि पारखी जहँ पड़े,सृजन सफल तहँ होय
आभारी मन रात दिन , प्रेम - प्रदीप सँजोय.
प्राची से आये दिवस,जागे यह संसार
मिली बधाई कीमती,प्राची जी आभार.
अलबेला जी आपका बहुत बहुत आभार,
धन्य हो गई कुंडली,पाकर निर्मल प्यार..
प्रिय अरुण भाई कुंडली की बधाई के साथ साथ
आपको आपकी शादी की सालगिरह कि हार्दिक बधाई
भाभी जी को भी शादी की हार्दिक बधाई
सही कहा भाई अरुण आपने
प्रकृति का सुन्दर रूप अब
पढ़ने को हि मिलेगा
पर्यावरण की रक्षा में आपकी इस कुंडली का योगदान सराहनीय है
शानदार कुंडली अरुण कुमार जी बहुत बधाई
बहुत सुन्दर कुंडली, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई.
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