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"MA'..har waqt kahi nkahi jinda rahti hai...
bahut hriday sparshi kathanak...
wah! Bagi ji
माँ का ह्रदय माँ का की होता है ममता छोटा बड़ा अमीरी गरीबी का चश्मा नहीं पहनती इस कहानी की माँ तो नमन करने योग्य है जो अपने और दूसरे के बच्चे में कोई फर्क का चश्मा नहीं पहनती ...बहुत शानदार कहानी आपको बधाई बागी जी
Maa ki mamataa.
Hridaydravak, bahut sunder,
बाली साहब, हम सभी जब एक ही परिवार ओ बी ओ परिवार से हैं तो कुछ न कुछ फ्रीक्वेंसी तो जरुर मुझ तक आएगी, सराहना हेतु आभार आपका |
बहुत बहुत आभार आदरणीय कुशवाहा जी |
उत्साहवर्धन हेतु आभार शन्नो दी |
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब हसरत साहिब, आपको लघुकथा पसंद आयी, लेखन सफल हुआ |
आदरणीय अलबेला खत्री जी, सराहना हेतु आभार, स्नेह बनाये रखें |
आदरणीया वसुधा निगम जी , लघुकथा पसंद करने व बहुमूल्य टिप्पणी हेतु आभार आपका |
बागी जी नमस्कार ! क्या मान्यवर ये घटना अभी चंद रोज मेरे घर में ही घटित हुई और आप तक खबर पहुँच गयी । कमाल है भाई इसे कहते हैं छठी इंद्रिय का कमाल। बिलकुल ऐसे ही हुआ ....जिस व्यक्ति का एक्सिडेंट मेरे भतीजे ने कार से किया था उसका मैं अभी भी इलाज़ करवा रहा हूँ। बड़ी मार्मिक कथा ! बधाई हो !
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