जिधर देखिये, जल ही जल है बाबाजी
यहाँ सभी की आँख सजल है बाबाजी
लोग जिसे गंगाजल कह कर पीते हैं
वह गंगा का अश्रुजल है बाबाजी
एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल है इसमें या डीज़ल है बाबाजी
भड़क गया मैं देख के उसके दस बच्चे
वो बोला, मालिक का फज़ल है बाबाजी
गुजराती कन्याओं के ज़्यादातर नाम
सेजल, केजल और किंजल है बाबाजी
तुम कसाब को लेकर ही गुस्साये हो
यहाँ अभी ज़िन्दा अफजल है बाबाजी
कई विधाएं हैं 'अलबेला' कविता की
किन्तु जग विख्यात ग़ज़ल है बाबाजी
Comment
dhnyavaad bhai yogesh ji..........aabhaar
महंगाई का ज़माना है बाबू.......
हा हा हा
आपकी सराहना के लिए धन्यवाद योगेश जी.......
एक लीटर की बोतल पन्द्रह रुपयों में
जल है इसमें या डीज़ल है बाबाजी...tatkalik halon ko badi sundarta se jikra kiya hai.
ati sundar albela ji.....ek hi gagar me sare sagar bhar diye.
हाँ ...मैंने सोचा थोक में ही निपटाओ....हा हा हा
धन्यवाद कुमार गौरव जी !
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