For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत तेज़ है मेरी लुगाई बाबाजी

 

ओ बी ओ परिवार के समस्त स्वजनों को अलबेला खत्री का विनम्र प्रणाम .

एक शो  और एक शूटिंग के  चलते मैं  तीन दिन  सूरत से बाहर रहा . इसलिए यहाँ हाज़िरी नहीं दे पाया . परन्तु  अच्छा ये रहा कि  महा उत्सव  में एक कुंडलिया और एक  घनाक्षरी  मैंने  टी वी पर भी सुनाई तो लोगों ने  ख़ूब सराहा .  बाबाजी वाली एक ग़ज़ल भी  मैंने  "बहुत ख़ूब" प्रोग्राम में प्रस्तुत कर दी  अगले हफ्ते उसे आप दबंग चैनल पर देख सकेंगे. एक  तुकबन्दी  आज पुनः आपकी सेवा में रख रहा हूँ .

सादर




घर-घर से आवाज़ ये आई बाबाजी
मार  ही  देगी  ये महंगाई बाबाजी

जनता जब से जूत चलाना सीख गई
नेताओं   की  शामत   आई  बाबाजी

उसके आगे कोई बहाना ना चलता
बहुत तेज़ है  मेरी  लुगाई  बाबाजी

जाने क्यों मुम्बई में घर से भी ज़्यादा
ओ बी ओ की  याद थी  आई  बाबाजी

हमने सुना है सारी ख़ुदाई एक तरफ़
एक  तरफ़  जोरू  का  भाई  बाबाजी

35 लाख का टायलेट क्यों न हो इनका
सत्ता   में    हैं    ये    इंकाई    बाबाजी

एक बार तुम राजनीति में घुस जाओ
फिर कितनी भी  करो कमाई बाबाजी

बाहर से तो  हँसा  रहा  है 'अलबेला'
लेकिन  भीतर  भरी रुलाई  बाबाजी


Views: 1703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 8:55am

सौन्दर्य  तो आप जैसे गुणी पाठकों व मित्रों की  दृष्टि में है  सम्मान्य डॉ प्राची सिंह जी,  परन्तु आपके  शब्दों से जो उत्साह वर्धन होता है  उसके लिए मैं और बाबाजी दोनों  आपके धन्यवादी हैं

सादर

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 8:52am

सम्मान्य  सौरभ जी,
सचमुच,  घर के  लोगों की याद आती ही है.......
अच्छी तुक लगाई  जी आपने........ये बाबा लोग अपने को बाबाजी बना के ही छोड़ेंगे...हा हा हा

आभार आपकी प्रतिक्रिया और  सराहना के लिए
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 14, 2012 at 8:38am
बहुत सुन्दर आ. अलबेला जी
आपकी हर रचना एक से बढ़ कर एक रोचक है..
आपको नित नयी ऊंचाइयों की तरफ बढ़ती रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई.
सादर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 14, 2012 at 5:47am

जाने क्यों मुम्बई में घर से भी ज़्यादा
ओ बी ओ की याद थी आई बाबाजी

परिवार के सदस्यों की हर घड़ी याद आती रहती है.  यह प्रेमीजन की सामान्य दशा है. ..

इस बाबाजी प्रकरण के लिये सादर बधाइयाँ.   देखिये ये बाबाजी कितने स्कैम पर से पर्दा उठाते हैं ..

आपकी तुक में मुझे भी सुर मिलाता देखिये, भाईजी -

जबसे हमने खुद पर हँसना सीख लिया
भली लगे  हर  पीर  पराई  बाबाजी.. .

 

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 12:02am

सम्मान्य अरुण कान्त शुक्ला जी,
आओ थोड़ा मिल कर हँसलें.............हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
जय हो !

Comment by Albela Khatri on June 14, 2012 at 12:00am

भाई कुमार  गौरव अजीतेन्दु  जी,
आपकी टिपण्णी भी गर्दा है...हा हा हा
___आभार

Comment by अरुण कान्त शुक्ला on June 13, 2012 at 11:59pm

बाहर से तो  हँसा  रहा  है 'अलबेला'
लेकिन  भीतर  भरी रुलाई  बाबाजी

जिंदगी की यही है सचाई बाबाजी

जब रोना था , तभी हंसी आई बाबाजी ... हा.. हा..बहुत बढ़िया बाबाजी ..

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 11:58pm

आपकी सराहना  सर आँखों पर  आदरणीय  बिश्वजीत यादव जी.......
आभार

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 11:57pm

श्रद्धेय उमाशंकर मिश्रा जी.........मैं  अच्छी कविता  उसी को मानता हूँ  जो सभी वर्ग  के लोगों को पसंद  आये.  काव्य  का कथ्य और उसकी सरल सहज भाषा  जन जन तक पहुंचे  और उसे आनंद अथवा प्रेरणा  दे, यही तो  सफलता है सृजन की .

आपने बहुत ही सार्थक टिपण्णी दे कर  मेरा मनोबल बढ़ाया है
आपको शत शत धन्यवाद

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 11:50pm

बहुत बहुत धन्यवाद  डॉ सूरज जी,
आपकी सराहना  सदैव बल देती है
आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service