करोड़ों दिलों पर राज करने वाले शहंशाह-ए-ग़ज़ल एवं लोक लाड़ले स्वर सम्राट जनाब मेहदी हसन के देहावसान से हमें बहुत दुःख पहुंचा है .
उनकी आत्मिक शान्ति के लिए परम पिता से प्रार्थना करते हुए एक ग़ज़ल के रूप में दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि :
आँख ग़ज़ल की पथराई है बाबाजी
नज़्म सोग में सरसाई है बाबाजी
मेहदी की शीतल सुर-सरिता सूख गई
ख़बर बहुत ही दुखदायी है बाबाजी
चमक दमक, महफ़िल की रौनक रूठ गई
रह गई बस इक सूनाई है बाबाजी
उड़ गये सूखे फूल कज़ा की आँधी में
धूल किताबों पर छाई है बाबाजी
हाय पहले जगजीत, गये अब मेहदी भी
किसने चिट्ठी भिजवाई है बाबाजी
अल्लाह ताला उनको जन्नत अता करे
दुआ यही लब पर आई है बाबाजी
कैसे कहूँ 'अलविदा' उसे मैं 'अलबेला'
वाणी मेरी भर्राई है बाबाजी
Comment
आपका धन्यवाद बिश्वजीत यादव जी.......
आभार
आपके सलाम को हमारा एह्तरामन सलाम...नीलांश जी....
धन्यवाद
उड़ गये सूखे फूल कज़ा की आँधी में
धूल किताबों पर छाई है बाबाजी
un fankaaron ko salaam karti aapki rachna ko salaam
धन्यवाद अरुण जी......
आँख ग़ज़ल की पथराई है बाबाजी
नज़्म सोग में सरसाई है बाबाजी....सच कह रहे हैं ..
जी सौरभ जी...........
_______यह सच है
आपको नमन
आज आँखें बार-बार कह रही हैं.. हम कुछ और गूँगे हुए हैं.. .
भाई योगेश शिवहरे जी,
भारत में जन्मा वह अनमोल नगीना भले ही आज हमारी नज़रों से ओझल हो गया लेकिन उसकी चमक सदा सदा हमारे सामने रहेगी........
नमन उस महामना को
जी प्रदीप जी,
आपने सही फरमाया
सादर
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