परिवर्तन के नाम पर ,अलग -अलग है सोच
किसी ने वरदान कहा ,इसे किसी ने बोझ ||
परिवर्तन वरदान है ,या कोई अभिशाप
एक को बांटे खुशियाँ ,दूजे को संताप ||
विघटित करके देश के ,कई प्रांत बनवाय
महा नगर विघटित हुए ,इक -इक शहर बसाय||
शहर- शहर विघटित हुए ,और बन गए ग्राम
ग्रामों में गलियाँ बनी ,परिवर्तन से धाम||
घर बाँट दीवार कहे ,परिवर्तन की खोज
बूढ़े मात -पिता कहें ,ये छाती पर सोज ||
जो नियम भगवान् रचे ,वो वरदान कहाय
मौसमी परिवर्तन पर ,प्रकृति शीश नवाय||
कहीं -कहीं इंसान ने ,खूब किये हैं काम
परिवार नियोजित किये ,परिवर्तन के नाम ||
दोष पतन की खान हैं ,जाने सकल जहान
स्वभाव परिवर्तित करे ,वो इंसान महान ||
जो प्रकृति से छल करे ,स्वारथ हित में रोज
वो परिवर्तन तो बने ,उस जीवन पर सोज ||
परिवर्तन वरदान बन ,प्रगति प्रशस्त कराय
बसा रहा स्वारथ अगर ,काल गर्त बन जाय ||
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Comment
पुनः स्वागत है आदरेया
अम्बरीश जी बहुत बहुत शुक्रिया
रेखा जी बहुत बहुत हार्दिक आभार
आदरेया राजेश जी व आदरेया सीमा जी ! आप दोनों का स्वागत है ....
आदरणीया राजेश जी ,
परिवर्तन वरदान बन ,प्रगति प्रशस्त कराय
बसा रहा स्वारथ अगर ,काल गर्त बन जाय ||,सुंदर भाव लिए सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई
सीमा जी इतने बारीकी से नियमों को बताने के लिए हार्दिक आभार
अरुण शर्मा जी हार्दिक आभार
वाह आदरणीया बेहद खुबसूरत दोहे, हृदय भाव विभोर हो उठा.
संदीप कुमार पटेल जी हार्दिक आभार सुधिजनो के परामर्श पर अमल हो गया है |
अम्बरीश श्रीवास्तव जी जब जब आप गुनी लोगों ने परामर्श दिया मुझे सच में बहुत हार्दिक प्रसन्नता हुई की मेरी रचना को बारीकी से पढ़ा गया मेरी रचना को वक़्त दिया गया और जिनपर मेरा ध्यान नहीं गया उस त्रुटी की और मेरा ध्यान आकर्षित किया आप सभी के परामर्श को ध्यान में रखते हुए वांछित सुधार कर रही हूँ ताकि मेरी रचना कसौटी पर कस कर खरी हो जाए
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