For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "

"मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है "

लब खामोश हैं

कुछ कम्पन है
कहना चाह रहे हैं
पर खामोश हैं
फिर भी कोई तो है
जो कर रहा है बात
चुप चुप
लेकिन शोर है
हाँ शोर है आँखों में
वो कर रहीं हैं बातें
एक एक वो बात
जिसे नहीं किया जा सकता है
नज़रअंदाज
उनमे है गंगा की सी सच्चाई
सागर की सी गहराई
ये आँखें
हाँ जिनमे प्रतिकार की ज्वाला है
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जिनसे झड रहे हैं श्रद्धा के सुमन
जिनमे क्षोभ है  कुछ खो देने का
उत्साह है कुछ पा लेने का
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जिनसे छलक रहा है
स्नेह का अमृत
जो न जाने कितने वर्षों से सूखे
नीरस हो चुके दरख्त को
पुनर्जीवित कर दे
बंजर में शादाब कर दे चमन
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
पैदा कर दें ग्लानी
दे जाएँ हीनता का विष
हकारत भरी जहर उगलती ये आँखें
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
कभी संकुचित हो उठती हैं
कभी इतनी विस्तृत की सागर समेट लें अपने में
हाँ करती हैं विश्मित
स्वयं भी होती हैं  विश्मित
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
नम नम सी हों
गलती का एहसास लिए
तोबा के गंगा जल से भरी भरी डबडबाई
मन का मैल धो कर हो चुकी हों श्वेत
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
क्रोधातुर हो के
हो रहीं हों रक्त के सामान लाल
काल भी इनके सम्मुख घबरा जाए एक पल को
निगल जाए भय को
दे जाए एक खौफ देखने वाले को
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जब कामातुर हो
हो रहीं हो मदहोश
मदमस्त
छलका रहीं हो प्रेम हाला
सामने जो भी आया
डूबा इनमे
लूट लिया है इन आखों से
उस शराबी को
जो हो उठा है मदहोश
उस हाला को पी कर
प्रेम के श्रृंगार के गीत गाते
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जब लुटा रहीं हों
ममता
दया
अपनों के लिए
गैरों के लिए
कर रहीं हो निक्षावर सर्वस्व
और मोह से हों परे
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है
ये आँखें
जब छल रहीं हो
स्वयं को
आईने से प्रतिकार करती
नज़रें चुराती
खुद को छुपाती
एक कसक सी लिए
एक एहसास को मार के
छल रहीं हों स्वयं को
कुछ दुःख भरे वेदना के स्वर लिए
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है


संदीप पटेल "दीप"

Views: 401

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on July 14, 2012 at 7:26pm

सदीप जी ,सादर 

ये आँखें 
जब लुटा रहीं हों 
ममता 
दया 
अपनों के लिए 
गैरों के लिए 
कर रहीं हो निक्षावर सर्वस्व 
और मोह से हों परे 
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है 
,बिलकुल सही ,मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है ,अति सुंदर ,बधाई 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2012 at 6:30pm
मौन की सशक्त अभिव्यक्ति को गहनता के साथ विस्तार से शब्दबद्ध करने के लिए बधाई प्रिय संदीप जी .
Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 12:10pm

मौन का ऐसा बोलता हुआ  चित्र मैंने पहली बार देखा
बधाई हो भाई संदीप दीप जी,
बहुत उम्दा रचना

ये आँखें
जब कामातुर हो
हो रहीं हो मदहोश
मदमस्त
छलका रहीं हो प्रेम हाला
सामने जो भी आया
डूबा इनमे
लूट लिया है इन आखों से
उस शराबी को
जो हो उठा है मदहोश
उस हाला को पी कर
प्रेम के श्रृंगार के गीत गाते
हाँ इस समय मौन एक सशक्त अभिव्यक्ति है

__वाह वाह !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service