For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीया/आदरणीय गुरुमां, गुरुजनों और मेरे प्रिय मित्रों. आज पहली बार मैंने ओ.बी.ओ पर ग़ज़ल की कक्षा से सीख कर एक ग़ज़ल लिखने का प्रयास किया है. कृप्या मेरा मार्ग दर्शन करें कि मैंने कहाँ पर त्रुटी की है. सभी को सादर प्रणाम.

दो घूंट भरके पी ले, बड़ी उम्दा शराब है,
ए दोस्त तेरी प्यार में किस्मत ख़राब है,

धोखा है, बेवफा है, ये हुस्न है फरेबी,
मोहोब्बत भरे दिलों को, लूटे शबाब है, 

तोहमत लगाओ चाहे,चाहे करो सवाल,
मिलता नहीं पलट कर, कभी कोई जवाब है,

बेचैनी बेवजह,उलझन भी मिली तबसे,
जबसे हुई है चोरी, दिल की किताब है,

रवां हो भी नहीं पाता है, की इतनी जल्दी,
पलकों की पंखुड़ियों से टूट जाता ख्वाब है......

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 18, 2012 at 11:14am

आदरणीया बहुत बहुत शुक्रिया.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2012 at 9:48am

बहुत अच्छा प्रयास है 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 15, 2012 at 1:53pm

भ्राताश्री अम्बरीश जी,
बहुत - बहुत शुक्रिया, आपने मार्गदर्शन किया. आपका आशीर्वाद और स्नेह यूँ ही बना रहा तो जरुर ये कमियां दूर हो जायेंगी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 15, 2012 at 1:49pm

अरुन भाई प्रसंशा के लिए आभार

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 15, 2012 at 1:49pm

भ्रमर जी बहुत - बहुत शुक्रिया.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 11:12pm

भाई अरुण जी ,  बेहतर प्रयास किया है आपने ! बहुत-बहुत बधाई | इसी तरह अभ्यास करें तो बहुत जल्द ही उम्दा गज़ल कहने लगेंगे.......

गज़ल में सुधार हेतु आवश्यक सुझाव.....

इस गज़ल की बह्र  है

मफईलु  फाइलातु मफाईलु फाइलुन

२२१      २१ २१    १२२१    २१२

 

अब अपने मतले की तकतई  देखें....

२ २ १ /        २१२१ /       १२२१/      २१२/

दो घूंट/ भरके पी ले/, बड़ी उम्दा श/राब है,                                         

२१ /   २१२१ /           १२२१       /२१२

दोस्त/ तेरी प्यार/ में किस्मत ख़/ राब है,//


शेर का सुधरा रूप यह रहा .....

२२१/    २१२१/     १२२१/    २१२

दो घूंट/ भरके पी ले/, ये उम्दा श/राब है,

२२१/      २१२१/     १२२१/    २१२

ऐ दोस्त/ तेरी प्यार/  में किस्मत ख़/राब है,

 

इस मतले के शेर से आपका काफिया शराब व ख़राब का कामन भाग अर्थात 'राब' निर्धारित हो गया है| परन्तु अगले शेर मे आपका काफिया 'आब' है| जो कि दोषयुक्त ही हुआ न ... ठीक इसी प्रकार शेष अशआर को चेक करें व दोष स्वयं ढूँढें व अभ्यास करें .......

नोट : वज्न जानने के लिए उच्चारण में लगने वाले समय के अनुसार १ या २ निर्धारित किया जाता है .....

सस्नेह

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:46pm

बेचैनी बेवजह,उलझन भी मिली तबसे,
जबसे हुई है चोरी, दिल की किताब है, ...... उम्दा ख्याल है सर जी ! प्रयास करते रहें !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 14, 2012 at 7:31pm

बेचैनी बेवजह,उलझन भी मिली तबसे, 
जबसे हुई है चोरी, दिल की किताब है, 

, 

प्रिय अनन्त जी सुन्दर गजल .........गजल के गुणी लोग जरुर आप का मार्ग दर्शन करेंगे ..लेकिन पहली गजल में कुछ बाधा नजर आ रही है ...
कृपया, त्रुटि, मोहब्बत , पर भी नजर डालें 
हरी ओउम 
भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service