For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहानी (दुआओं का असर)

कहानी
 
दुआओं का असर
 
इंसान को हमेशा अपनी औकात में रहना चाहिए I अपनी सफलता देख बंदर की भांति उछलना कूदना हरगिज़ नहीं चाहिए न जाने तकदीर का पहिया कब पलट जाए,आप औंधे मुंह जमीन पर आ गिरो और सारा जग आपकी हंसी उढ़ाए I एक हमारे जानने वाले अजीज़ एक गैरसरकारी संस्थान में कार्यरत थे और एक टूटे से लम्रेटा स्कूटर पर आते थे जैसे जैसे उनकी तरक्की होती गयी और वह उच्च पद पर आसीन होते गए तो अपनी औकात भी भूलते गए I कंपनी का ड्राईवर कंपनी की लम्बी महँगी  गाड़ी मोटी तनख्वाह , हर सुख सुबिधा आराम के नशे नें उन्हें अँधा कर दिया उनके तालिबानी हुक्म उनके अधीनस्थ गरीब लाचार कर्मचारियों पर भारी पड़ने लगे किसी की सुननी ही नहीं बस अपनी ही करनी जिससे नहीं बनी उसे परेशान करना अपनें सीनियर्स से झूठी शिकायतें करना उन्हें बेवजह उकसाना,भढ़काना उनकी छवि ख़राब करना I बस यही सब उम्र भर करते रहे अब ऐसे में उन्हें कोई दुआ क्या देता सब बददुआ ही देते चले गए और यह बात सत्य है की दुआ हो या बददुआ फ़लती ज़रूर है शायद ही किसी नें कभी उनके चहरे पे हंसी देखी हो हमेशा गुस्से में ही जले भुने रहते थे I
 
जैसे ही उनकी नौकरी से सेवा निवृति के दिन नज़दीक आए तो उन्हें एक लाईलाज बीमारी ने घेर लिया इसका सम्पूर्ण इलाज तो हरगिज़ संभव नहीं हाँ पैसे के दम पर रगड़ घसीट कर थोडा बहुत आगे खिसकाया जा सकता था लेकिन वोह भी कब तक आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी कभी न कभी बारी तो आएगी ही पैसा बहाने के बाद भी दर्द,तकलीफ ,परेशानियाँ कम नहीं होंगी बढ़ती उम्र के साथ बढती ही जाएँगी I अब जिंदगी भर किसी का भला तो किया नहीं जो कोई उनकी बेहतरी के लिए सोचे I हाँ कुछ झूठा दिखावा करने वाले उनके चमचों को छोड़ किसी और को उनसे हमदर्दी शायद ही हो I
 
बेबसी,लाचारी,तन्हाई और बीमारी आदमी को झंझोर  कर रख देती है उस वक़्त उसे सहारों की सख्त  ज़रुरत होती है और यह सहारे उसे तभी मिल पाते  हैं अगर वह भी जिंदगी में किसी दूसरे का सहारा बना हो ऐसे कठिन समय में सूखे ठांठ सा व्यक्ति दो बूँद पानी के लिए भी तरस जाता है इसलिए इंसान को अपने अच्छे समय में ही अपनें आने वाले कठिन समय की सुदृढ़ नींव रख लेनी चाहिए .....I
 
अभी तो फिर भी गनीमत है कि अच्छी खासी तनख्वाह , कंपनी का ड्राईवर कंपनी की गाड़ी है लेकिन नौकरी छूटने के बाद उनका  होगा क्या जब यह सारी  सुविधाएँ समाप्त हो जाएँगी और सब कुछ अपने आपसे अपनी जेब से ही करना पड़ेगा ? माशाल्लाह कर्म भी ऐसे हैं कि कोई जूठे मुंह भी नहीं पूछेगा और तो और चमचे भी कन्नी काट लेंगे  I ऐसे में क्या होगा किसी भी इंसान को यह हरगिज़ नहीं भूलना चाहिए कि....................
 
दुआओं,बददुआओं का असर होता ज़रूर है
फिर भी तेरे दिमाग में क्यों रहता फितूर है
क्या साथ तू लाया था क्या साथ ले जाएगा
किस बात का ओ अंजान तुझको गरूर है.......
 
दीपक 'कुल्लुवी '
18 /7 /12 .
09350078399

Views: 1275

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 4, 2017 at 1:45pm

सभीका धन्यवाद 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on July 25, 2012 at 10:58am
सुभ्रांशु,सौरभ पांडे जी,राजेश कुमारी जी,आशीष और शैलन्द्र जी................ 
आप सबका मेरी कहानी  (जो सत्य घटना  पर आधारित है और मैं भी इसका एक बदनसीब पात्र हूँ  ) पर बिचार व्यक्त करने के लिए हार्दिक धन्यबाद I
मेरी सबसे सारी दुनिया से  प्रार्थना है की ईमानदारी से जिओ और शान से जिओ......किसी का बुरा न करो ....वर्ना आपका बुरा होते देर न लगेगी....
 
दीपक कुल्लुवी 
Comment by Shubhranshu Pandey on July 24, 2012 at 1:46pm

नउआ रे सर पे कितने बाल ?.... बस, जो है आपके सामने है.....कहावत को चरितार्थ करती कहानी....

सम्पूर्णता के साथ कहानी का अन्त.....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2012 at 2:33pm

//बेबसी,लाचारी,तन्हाई और बीमारी आदमी को झंझोर  कर रख देती है उस वक़्त उसे सहारों की सख्त  ज़रुरत होती है और यह सहारे उसे तभी मिल पाते  हैं अगर वह भी जिंदगी में किसी दूसरे का सहारा बना हो //

इस शाश्वत पंक्ति पर हृदय से बधाइयाँ,  भाई दीपक जी.  कहानी पर आपका प्रयास सुखकर है.

Comment by आशीष यादव on July 20, 2012 at 12:23am

बढ़िया संदेश। सभी को अमल करना चाहिये।

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 18, 2012 at 10:56pm

बहुत ही अच्छी और संदेशपरक  कहानी पर हार्दिक बधाई स्वीकार  करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2012 at 7:40pm

बहुत अच्छा सबक देती हुई कहानी अपने वक़्त रहते ही अपने आने वाले कल की नीव सुद्रढ़ कर लेनी चाहिए बहुत शानदार शब्द हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service